पुलिस के द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली धारा -107/116/151 Crpc - The most used section by the police - 107/116/151 Crpc

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पुलिस के द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली  धारा -107/116/151 CrPC - The most used section by the police - 107/116/151 CrPC 

                                   आप सभी को मेरा स्नेह पूर्वक नमस्कार 🙏  आज हम बताने जा रहे हैं कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107, 116 व 151 के बारे में, क्या है। इसमें जमानत के क्या प्रावधान हैं? आज मैं इन सभी के बारे में जानकारी ताज़ा करने जा रहा हूँ। कौन से मामले 107, 116 व 151 सीआरपीसी के तहत आते हैं। 107, 116 सीआरपीसी कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को रोक सकता है। यदि किसी व्यक्ति को यह आशंका है कि वह उसके साथ झगड़ा करने वाला है या वह ऐसे व्यक्ति को कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 107 116 के तहत प्रतिबंधित कर सकता है, तो इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है जिसकी चर्चा हम आपसे करने जा रहे हैं -

सीआरपीसी की धारा 107/116 -Section 107/116 of CrPC

धारा 107, 116 CRPC से तात्पर्य यह है कि जब किन्ही दो पक्षों में लड़ाई या झगड़ा होता है  जहां किसी गंभीर प्रवर्ति की कोई चोट नहीं होती ना ही कोई गंभीर प्रकार का अपराध होता है जहां केवल मामला मारपीट या कहासुनी तक ही सीमित होता है। तो दोनों पक्षों द्वारा अपने क्षेत्राधिकार वाले पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवा दी जाती है उसके पश्चात पुलिस द्वारा दोनों पक्षों को धारा 107, 116 CRPC के तहत पाबंद कर दिया जाता है और मजिस्ट्रेट के  समक्ष पेश  किया जाता है यह धारा जमानती  धारा होती है इसमें आसानी से जमानत किसी भी व्यक्ति को मिल जाती है धारा 107 , 116 CRPC के तहत जब किसी व्यक्ति को पाबंद किया जाता है तो न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष नहीं प्रस्तुत किया जाता बल्कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट इस मामले की सुनवाई करते हैं और वहां से आपको जमानत पर छोड़ दिया जाता है ,एवं आपके जमानत मुचलके तस्दीक करवा लिए जाते हैं। न्यायालय से किस प्रकार से धारा 107 , 116 CRPC के अंतर्गत आप किसी व्यक्ति को पाबंद करवा सकते हैं जिसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार है।

न्यायालय द्वारा धारा 107 व 116 में पाबन्द करवाने की प्रक्रिया? -  The process of getting the court banned in section 107 and 116?

किसी व्यक्ति या किसी आपसी दो पक्षकारों के मध्य अगर कहासुनी या लड़ाई झगड़ा या मारपीट कुछ ऐसा हो जाता है जिससे कि  शांति भंग हो रही हो इस प्रकार किसी भी व्यक्ति द्वारा न्यायालय में जाकर धारा 107 , 116 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत परिवाद दायर कर सकता है जोकि मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर होता है धारा 107 , 116 CRPC का परिवाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत नहीं होता है बल्कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होता है जिसमें अधिवक्ता की भी आवश्यकता होती है क्योंकि अधिवक्ता द्वारा ही परिवाद की ड्राफ्टिंग की जाती है और उस व्यक्ति की ओर से वकालतनामा पेश किया जाता है और परिवार कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

जिस व्यक्ति को न्यायालय से धारा 107 व 116 का नोटिस आया हो उसकी जमानत की प्रक्रिया ? - The process of bail of the person who has received the notice of section 107 and 116 from the court?

 अगर किसी व्यक्ति के पास न्यायालय द्वारा नोटिस भेजा गया हो तो नोटिस पर अंकित दिनांक को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ता है और न्यायालय के अंदर अपनी बात भी अपने अधिवक्ता द्वारा रखी जा सकती हैअगर किसी व्यक्ति ने आप के खिलाफ परिवाद दायर किया है तो आप को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ता है और जमानत करवानी पड़ती है जमानत में जमानत मुचलके पेश करने होते हैं और जमानती के दस्तावेज भी संलग्न कराने होते हैं जो आप की जमानत लेता है अगर आपको लगता है कि आप पर कोई झूठी कार्यवाही की जा रही है तो न्यायालय के समक्ष आप वकील द्वारा वकालतनामा पेश करवा कर मुकदमे को कंटेस्ट भी कर सकते हैं अगर आपको मुकदमा लड़ना है तो पाबंद ना होकर मुकदमा लड़ सकते हैं जिसकी समय अवधि 6 महीने की होती है अगर धारा 107 116 CRPC में आप को पाबंद किया जाता है तो उसकी समय अवधि 6 माह क्यों होती है जिसके अंतर्गत वह 6 माह पश्चात अपने आप मुकदमा खत्म हो जाता है यह कोई गंभीर प्रकृति का  मुकदमा नहीं होता है इसमें इतना घबराने की आवश्यकता नहीं होती है इसमें केवल पाबंद किया जाता है अगर पाबंद होने के पश्चात भी अगर आप कानून की अवहेलना करते हैं तो आपके ऊपर गंभीर प्रवृत्ति के मुकदमा दर्ज हो सकता है | 

सीआरपीसी की धारा 151 -Section 151 of CrPC

अक्सर सुनने में आता है कि धारा 151 के मामले में पुलिस ने कुछ आरोपियों को पकड़ा है, तो कुछ लोगों को जेल में डाला है. लेकिन सबसे पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 151 का मतलब क्या है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी सभा या गिरोह में शामिल होना चाहता है, या पहले ही शामिल हो चुका है, जिसमें पाँच या अधिक व्यक्ति शामिल हैं और जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में कलह पैदा करना है, तो ऐसे सभी अपराधी दंड के पात्र हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के अनुसार। भारतीय दंड संहिता की धारा 151 समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए संहिता द्वारा प्रदान किया गया एक निवारक उपहार है।

                            समाज में सही ढंग से न्याय व्यवस्था और अनुशासन बनाने के लिए कानून के सभी प्रक्रियात्मक यंत्र के प्रत्येक कलपुर्जे का कुशलतापूर्वक कार्य करना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा यह उस समाज के हित के लिए हानिकारक भी हो सकता है, जिस समाज के हित के लिए ही ये कानून बनाए जाते हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 151 के अनुसार उन सभी अपराधियों को गिरफ्तार करके कानून में वर्णित प्रावधानों के अनुसार सजा दी जाती है, जिससे कि वे भविष्य में कभी भी ऐसी किसी गैंग में न तो शामिल हों और न ही किसी को शामिल होने के लिए प्रेरित करें। भारतीय दंड संहिता की धारा 141 में गैरकानूनी जन सभा के बारे में वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार पांच या पांच से अधिक लोगो का समूह जिनमें से सभी का उद्देश्य एक ही हो, और जो लोग समाज में विकार उत्पन्न करने का प्रयत्न करते रहते हों, या लड़ाई दंगों के कामों सबसे आगे रहते हों।

धारा 151 के अनुसार गिरफ़्तारी​ की प्रक्रिया -Procedure for arrest under section 151

इस धारा का मुख्य उद्देश्य उन सभी लोगों को सजा दिलवाने का होता है, जो समाज में अशांति फ़ैलाने का कार्य करते रहते हैं, जब किसी समाज में किसी गैर क़ानूनी जन सभा द्वारा कोई अपराध को अंजाम दिया जाता है, जिसमें सभी अपराधियों का एक जैसा उद्देश्य हो, तो ऐसे अपराधियों को पुलिस के अधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट होने के बाद गिरफ्तार कर सकते हैं, और यदि प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं की गयी है, और पुलिस को अपराध के बारे में कहीं और से कोई जानकारी प्राप्त होती है, तो ऐसी स्तिथि में पुलिस अधिकारी न्यायालय से उन आरोपियों के खिलाफ गिरफ़्तारी का वारंट बनवा सकते हैं, जिसके आधार पर उन सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सकता है। किन्तु गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को 24, घंटे के भीतर ही न्यायालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य होता है। यह एक अपराधी को भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार में अनुच्छेद 22 में दिया गया अधिकार है, अगर कोई पुलिस का अधिकारी ऐसा नहीं करता है, तो उस अधिकारी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है।

धारा 151 के तहत सजा और जमानत का प्रावधान - Provision of punishment and bail under section 151

सामान्यतः धारा 151 के अनुसार जहाँ कोई व्यक्ति कोई ऐसे समूह में शामिल होता है, जिसमें पांच या पांच से अधिक लोग जुड़े हुए हों, और जिनका मुख्य उद्देश्य जन शांति को भंग करना होता है। जब कोई गैर क़ानूनी जन सभा किसी समाज के लोगों में अशांति फ़ैलाने की कोशिश करती है, तो वहाँ की पुलिस ऐसे सभी अपराधियों को जो किसी भी प्रकार से उस गैर क़ानूनी जन सभा से जुड़े हुए हैं, तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 151, के अनुसार कारावास की सजा का प्रावधान दिया गया है, और जिसकी समय सीमा को 6 बर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और कारावास के साथ ही आर्थिक दंड का प्रावधान भी दिया गया है, यह आर्थिक दंड न्यायालय अपने विवेक से और अपराधी की हैसियत और उसके जुर्म की गहराई को देखकर निश्चित करती है। इस धारा के अंतर्गत आने वाले आरोपी को जमानत देने का भी प्रावधान दिया गया है, क्योंकि यह बहुत अधिक संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, जिससे इस धारा के मामले में जमानत मिलने के अवसर और अधिक बढ़ जाते हैं। एक व्यक्ति जमानत लेने के लिए जमानत के सभी चरणों का पालन करते हुए अपनी जमानत प्राप्त कर सकता है।

धारा 151 के आरोपी को एक वकील की आवश्यकता क्यों होती है? - Why does the accused of section 151 need a lawyer?

आमतौर पर भारतीय दंड संहिता के सभी मामलों से निपटने के लिए ही वकील की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस संहिता में केवल आपराधिक कृत्यों के प्रावधानों और उनकी सजा का वर्गीकरण किया गया है। एक वकील ही उचित रूप से धारा 107/116/151, के अपराध से निपटने के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि वकील को ऐसे मामलों से निपटने का अनुभव होता है, और उसे इस बात की जानकारी होती है, कि किस प्रकार से इस मामले  के आरोपी की मदद की जाये। लेकिन इन मामलों में ध्यान देने की बात यह होती है, कि जिस वकील को हम धारा 107/116/151 के मामले से सुलझने के लिए नियुक्त कर रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में निपुण वकील होना चाहिए, और उस वकील को इस प्रकार के मामलों से सुलझने का काफी अच्छा अनुभव हो, जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

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