मानवाधिकार आयोग में शिकायत कैसे करें? मानव अधिकार टोल फ्री नंबर | How to file complaint in NHRC in Hindi

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आज के इस लेख में हम आपको आपके मानवाधिकार बताएँगे। साथ ही आपको यह भी जानने को मिलेगा कि यदि किसी तरह से आपके मानवाधिकारों (Manvadhikar aayog me complaint kaise kare) का हनन होता हैं तो आप उसकी शिकायत किस तरह से मानवाधिकार आयोग में कर सकते हैं और उसकी क्या प्रक्रिया हैं। 

भारत सरकार के द्वारा देश के नागरिकों के मानव अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया हैं। हमारे देश का एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हैं तो हर राज्य के भी अपने अपने मानवाधिकार आयोग हैं। उदाहरण के तौर पर राजस्थान का राजस्थान मानवाधिकार आयोग तो केरल का केरल मानवाधिकार आयोग। इसी प्रकार देश के हर राज्य के मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के द्वारा देश के सभी नागरिकों के मानवाधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती हैं।तो अब यदि किसी तरह के आपके मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ हैं या हनन हुआ हैं या फिर आपके किसी जानने वाले या जानकर में किसी व्यक्ति (Manvadhikar aayog me shikayat kaise kare) के मानवाधिकारों का हनन हुआ तो आप उसके लिए संबंधित राज्य के मानवाधिकार आयोग में या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके लिए भारत सरकार के द्वारा ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों तरह की व्यवस्था दी गयी हैं जहाँ पर आप मानवाधिकार आयोग को शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और अपने साथ हुए अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठा सकते हैं।आइए जाने मानवाधिकार आयोग में शिकायत करने से संबंधित जानकारी।

मानवाधिकार क्या होते हैं? (Manav adhikar kya hai)

मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो किसी भी व्यक्ति को जन्म के साथ ही मिल जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा का अधिकार ही मानव अधिकार है। इन अधिकारों की मांग प्रत्येक मनुष्य कर सकता है, चाहे इनके बारे में उस देश (जहाँ का वह निवासी है) के संविधान में प्रावधान किया गया हो या नहीं। इनकी उत्पत्ति का स्त्रोत मानवीय विवेक न होकर मानव का मानवोचित्त गुण है। इनके अंतर्गत राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जैसे अन्य अधिकार भी शामिल हैं। इन्हीं अधिकारों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र ने साल 1948 में एक घोषणा-पत्र जारी किया था। इस घोषणा-पत्र में कहा गया था कि मानव के बुनियादी अधिकार किसी भी नस्ल, जाति, धर्म, लिंग, समुदाय और भाषा आदि से भिन्न होते हैं।

सबसे पहले यह बात की जाए कि आखिरकार यह मानवाधिकार होते क्या हैं और इसका किस तरह से आपसे संबंध हैं। तो यदि हम मानवाधिकार शब्द का संधि विच्छेद करेंगे तो यह दो शब्दों के मेल से बना हुआ होता हैं। ये शब्द हैं मानव और अधिकार। कहने का अर्थ यह हुआ कि हमने कानून तो बना लिए जिसमें किसी व्यक्ति के साथ कोई जुर्म होने पर सामने वाले व्यक्ति को दंड देने (Manav adhikar kya hota hai) का प्रावधान हैं किंतु उनका क्या जो हमारे मानव होने के अधिकार हैं। कानून तो केवल हमारे मौलिक अधिकारों के हनन होने पर ही हमें न्याय देता हैं।यही कारण हैं कि इसके लिए मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया जिसके तहत मानव के अधिकारों का हनन होने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाती हैं और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया जाता हैं। फिर चाहे अपराधी पक्ष स्वयं पुलिस वाले, सरकारी अधिकारी या उच्च पद पर बैठा व्यक्ति ही क्यों ना हो। तो ऐसे में मानवाधिकार आयोग के द्वारा इन मानवाधिकारों को वर्गीकृत किया गया हैं। यदि इनमे से आपके किसी मानवाधिकार का हनन होता हैं तो आप उसकी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं।

मानव अधिकारों की उत्पत्ति(Origin of human rights)

‘मानवाधिकार’ शब्द का प्रयोग 20वीं शताब्दी में किया गया था। इसके पहले अधिकारों के संदर्भ में ‘प्राकृतिक अधिकार’ अथवा ‘व्यक्ति के अधिकार’ शब्द प्रचलन में थे। प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी में प्रसिद्ध दार्शनिकों ग्रोशियस, हॉब्स और लॉक की रचनाओं में हुई थी। उन्होंने बताया था कि प्राकृतिक अधिकारों का मुख्य आधार ‘प्राकृतिक कानून’ हैं। यह कानून प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता तथा संपत्ति का सम्मान करने की बात कहते हैं। जॉन लॉक ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “दी टू ट्रीटसेज़ ऑन गवर्नमेंट” में इन प्राकृतिक सिद्धांतों का उल्लेख किया है।

इसके अलावा, 1776 में अमेरिका द्वारा स्वतंत्रता के संबंध में जारी किये गए घोषणापत्र में भी कहा गया था कि ‘सभी व्यक्ति समान पैदा हुए हैं तथा सृष्टिकर्ता ने उन्हें जीवन, स्वतंत्रता तथा सुख की प्राप्ति जैसे कुछ अदेय अधिकार प्रदान किये हैं।’ तत्पश्चात 1789 में फ्रांस द्वारा घोषित मानव और नागरिक अधिकारों के घोषणापत्र में एक बार फिर व्यक्ति के अधिकारों की प्राकृतिक व अदेयता की बात कही गई थी। इन देशों ने अपने नागरिकों को ये अधिकार एक व्यक्ति होने के नाते दिया था न कि एक राज्य होने के नाते।

17वीं और 18वीं शताब्दी में प्राकृतिक अधिकारों से संबंधित जो घोषणाएँ की गई थीं; 20वीं शताब्दी में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार घोषणापत्र और इनसे संबंधित कई अन्य समझौतों के माध्यम से उन्हीं का और विस्तार किया गया। आसान भाषा में कहें तो मानवाधिकार पुराने प्राकृतिक अधिकारों के ही उत्तराधिकारी हैं।

मानवाधिकार के प्रकार (Manav adhikar ke prakar)

वैसे तो मानव अधिकारों की कोई एक निश्चित संख्या नहीं है। विविध प्रकार के समाजों में जैसे-जैसे नए खतरे और चुनौतियाँ सामने आ रहीं हैं, वैसे-वैसे मानवाधिकारों की सूची लगातार बढ़ती जा रही है। यहाँ पर हम संयुक्त राष्ट्र के सार्वभौमिक घोषणापत्र में उल्लिखित मानवाधिकारों के बारे में जानेंगे। इस घोषणापत्र में कुल 30 अनुच्छेद हैं, जिनमें उल्लिखित मानवाधिकारों को सामान्य तौर पर नागरिक-राजनीतिक और आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक श्रेणियों में बाँटा गया है। इसके अनुच्छेद-3 में व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा के अधिकारों की बात कही गई है जो अन्य सभी अधिकारों के उपभोग के लिये ज़रूरी हैं।

अब यदि आप मानवाधिकार आयोग में अपने मानवाधिकारों के हनन से संबंधित शिकायत दर्ज करवाने जा रहे हैं तो आपका यह जानना अति आवश्यक हो जाता हैं कि आप किन किन मानवाधिकारों के हनन होने पर उसकी शिकायत कर सकते हैं। इस स्थिति में मानवाधिकार आयोग के द्वारा इन मानवाधिकारों को 10 भागों में विभाजित किया गया हैं।इसके अंतर्गत पुलिस, सरकारी अधिकारी, सरकारी विभाग या किसी अन्य सरकारी संस्था या व्यक्ति के द्वारा उक्त मामलों में मानवाधिकार हनन की कार्यवही की जा सकती हैं:

  • गैरकानूनी नजरबंदी, झूठे आरोप, हिरासत में हिंसा, अवैध गिरफ्तारी या अन्य पुलिस ज्यादती।
  • फेक एनकाउंटर में मृत्यु, हिरासत में मृत्यु या अत्याचार, कैदियों पर अत्याचार करना।
  • कैदी की सजा पूरी हो जाने के बाद भी उसे तंग करना या उसे जेल में रखना।
  • आरक्षित वर्ग के लोगों को सामाजिक और सरकारी सुविधाओं से वंचित रखना या उन्हें उनके अधिकार नही देना।
  • बंधुआ मजदूरी करवाना, बाल विवाह या बाल मजदूरी करवाना।
  • दहेज़ की मांग करना, दहेज के लिए प्रताड़ित करना या महिला के विरुद्ध यौन अपराध या उसका शोषण करना।
  • मानव तस्करी, अपहरण, यौन हमला, हत्या या उसका प्रयास, भ्रष्टाचार या ऐसा कोई भी अपराध जो कानून के तहत दंडनीय है लेकिन पुलिस उसे रजिस्टर करने से माना करें।
  • समलैंगिक पुरुषों या महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध या उनके अधिकारों का उल्लंघन होना।
  • बड़े प्रोजेक्ट्स में अनियमितता होने के कारण अधिक मात्रा में प्रदूषण का होना और मानवों का स्वास्थ्य प्रभावित होना।
  • ऐसी पुलिस शिकायतों पर कार्यवाही नही करना जिसके कारण सामाजिक या धार्मिक हिंसा भड़क सकती हो।
तो उक्त मामलों में आप संबंधित विभाग में मानवाधिकार के हनन से संबंधित शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। यदि आपको लगता हैं कि आपके या अन्य किसी व्यक्ति के मानवाधिकार का हनन हो रहा हैं और वह ऊपर बताये गए किसी कारण में निहित हैं तो आप बिना देर किये ही आज ही उसकी शिकायत दर्ज करवा देंगे तो बेहतर रहेगा।

मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा(universal declaration of human rights)

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मानवाधिकारों का जमकर उल्लंघन किया गया था। इस कारण से भविष्य में मानवाधिकारों के संरक्षण हेतु ठोस व्यवस्था किये जाने की ज़रूरत महसूस हुई और 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकार कर लिया। सामान्य सभा ने सभी सदस्य देशों से इस घोषणा-पत्र को प्रसारित करने का आह्वान किया था। मानवाधिकारों की रक्षा से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में 48 देशों ने हस्ताक्षर किये थे जिनमें भारत भी शामिल था। लेकिन भारत में मानवाधिकारों से जुड़ी एक स्वतंत्र संस्था बनाने में 45 वर्ष लग गए। 12 अक्टूबर 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन किया गया। इसके अलावा, राज्यों में भी मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। 

मानवाधिकार की शिकायत कौन कर सकता है?(Who can file a human rights complaint?)

अब आपका प्रश्न होगा कि आखिरकार कौन कौन अपने साथ हुए या किसी अन्य के साथ हुए मानवाधिकार के हनन की शिकायत कर सकता हैं। तो इसके लिए भी मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर पूरी जानकारी दी गयी हैं जहाँ पर आपको पता चल जाएगा कि आखिरकार कौन कौन मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवा सकता हैं। फिर भी हम आपको यहाँ बता देते हैं:
  • जिस भी व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ हैं या उसके मानवाधिकार का हनन हुआ हैं तो वह मानवाधिकार आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता हैं।
  • उस व्यक्ति के लिए उसका कोई भी जानने वाला फिर चाहे वह उसका परिवार का हो या रिश्तेदार हो या मित्र हो या जानने वाला हो।
  • ऐसा कोई व्यक्ति जो उस व्यक्ति को जनता भी ना हो लेकिन यदि उसे लगता हैं कि उस व्यक्ति के मानवाधिकारों का हनन हुआ हैं तो भी वह उसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग में कर सकता हैं।
  • स्वयं मानवाधिकार आयोग भी अपने आप ही संबंधित मामले में स्वतः संज्ञान ले सकता हैं। इसके लिए वह मीडिया की रिपोर्ट्स या अन्य जानकारी को आधार बना सकता हैं।

मानवाधिकार आयोग के द्वारा किन शिकायतों को सामान्यतया नही लिया जाएगा?(Which complaints will not normally be taken up by the Human Rights Commission?)

यदि आप मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करवाने जा रहे हैं तो आपको यह भी जान लेना चाहिए कि किन किन शिकायतों को मानवाधिकार आयोग के द्वारा स्वीकार ही किया जाएगा ताकि आप व्यर्थ में ही अपना समय ना बर्बाद करें। ऐसे में मानवाधिकार आयोग के द्वारा निम्नलिखित शिकायतों को नही सुना जाएगा।ऐसी घटनाएँ जिन्हें हुए एक वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका हैं और उसके बाद वह शिकायत दर्ज करवाई जा रही हैं।
  • ऐसे मामले जो पहले से ही भारतीय न्यायिक प्रक्रिया के अधीन विचारनीय हैं या वहां लम्बित हैं तो उन्हें भी मानवाधिकार आयोग के तहत संज्ञान में नही लिया जाएगा।
  • ऐसे मामले जो पहले से ही किसी राजकीय मानवाधिकार आयोग के अंतर्गत पंजीकृत हैं तो उन्हें भी किसी अन्य राज्य के मानवाधिकार आयोग में या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में नही सुना जाएगा।
  • ऐसे मामले जहाँ मानवाधिकार का हनन हुआ ही ना हो या गलत श्रेणी के तहत मामला दर्ज किया जा रहा हो या जो तुच्छ मामला हो या यूँ ही दर्ज कर दिया गया हो तो वह भी अस्वीकृत कर दिया जाएगा।
  • पेंशन, पारिवारिक पेंशन, रिटायरमेंट लाभ व मजदूरी से जुड़े मामलों के अलावा अन्य सेवा से संबंधित मामलों को नही सुना जाएगा।
  • भूमि, पारिवारिक, शादी इत्यादि से जुड़े मानवाधिकार के हनन से जुड़े मामले भी नही सुने जाएंगे।
तो इस स्थिति में यदि आप इनसे जुड़े मानवाधिकार के मामलों को मानवाधिकार आयोग में रिपोर्ट करना चाहते हैं तो उन्हें अस्वीकृत कर दिया जाएगा और उस पर कोई कार्यवाही नही की जाएगी।

मानवाधिकार आयोग में शिकायत कैसे करें? (How to file complaint in NHRC in Hindi)

अब करते हैं सबसे मुख्य मुद्दे की बात जो हैं कि यदि आप मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाना चाहते हैं तो उसकी प्रक्रिया क्या होगी। तो अज हम आपको बता दे कि इसके लिए आप तीन तरह की प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं। एक ऑनलाइन से जुड़ी हुई हैं तो दो ऑफलाइन माध्यम से। अब हम आपके साथ मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाने के तीनो तरह के विकल्प के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

1. मानवाधिकार आयोग में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना

अब जब सब कुछ ऑनलाइन हो चुका हैं तो मानवाधिकार आयोग भी क्यों पीछे रहता। मानवाधिकार आयोग ने भी समय की मांग को देखते हुए इसके लिए ऑनलाइन सुविधा दी हुई हैं जहाँ पर आप आयोग के समक्ष ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और न्याय की उम्मीद कर सकते हैं। तो यदि आप मानवाधिकार आयोग में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाना चाहते हैं तो आपको हमारे द्वारा बताये गए चरणों का पालन करते हुए आगे बढ़ना होगा।

  • इसके लिए सबसे पहले तो आपको मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर जाना होगा जिसका लिंक https://nhrc.nic.in/hi/ हैं।
  • इस वेबसाइट को खोलने के बाद आपको इसमें ऊपर दिए गए मेन्यू में एक विकल्प मिलेगा जिस पर लिखा होगा “शिकायत”। आपको इस पर अपना कर्सर लेकर जाना हैं, इसके बाद एक ड्रापडाउन सूची आपके सामने आ जाएगी।
  • इस सूची में पहला ही विकल्प होगा जिस पर लिखा होगा “ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण” जिस पर आपको क्लिक करना होगा।
  • जैसे ही आप इस विकल्प पर क्लिक करेंगे तो आपके सामने एक नया पेज खुल जाएगा। आप चाहे तो सीधा इस लिंक https://www.hrcnet.nic.in/HRCNet/public/webcomplaint.aspx पर क्लिक कर भी वहां पहुँच सकते हैं।
  • यदि आपका यह पेज अंग्रेजी भाषा में खुलता हैं तो आपको ऊपर ही दाए कोने में हिंदी लिखा हुआ मिलेगा, जिस पर क्लिक करने से संपूर्ण फॉर्म हिंदी भाषा में खुल जाएगा।

  • अब सबसे पहले तो आप इसमें अपने राज्य या देश का चयन कर ले और उसके बाद आप यह चयन करे कि आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत करना चाहते हैं या अपने राज्य के मानवाधिकार आयोग के समक्ष।
  • उसके बाद आपको अपना मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी को डालकर उसको सत्यापित करना होगा। यह सत्यापन आपके नंबर पर एक कोड भेजकर किया जाएगा जिसे आपको सिस्टम में डालना होगा और आगे बढ़ना होगा।
  • इसके भरे जाने के बाद आपको अपना संपूर्ण विवरण, पीड़ित पक्ष का सब विवरण, यदि आप ही पीड़ित हैं तो फिर से अपना सब विवरण, हुई घटना का सब विवरण, आप क्या चाहते हैं और इसके अलावा अन्य सब जानकारी ध्यानपूर्वक भरनी होगी।
  • जब आप यह सब जानकारी भर दे तो उसका प्रीव्यू अवश्य देख ले और भरी गयी जानकारी को अच्छे से चेक कर ले ताकि कुछ गलत जानकारी या भ्रामक जानकारी ना भरी गयी हो।
  • इसके साथ ही आप अपने या उस घटना से संबंधित यदि किसी तरह के डाक्यूमेंट्स को सलंग्न करना चाहते हैं तो आप वह भी कर सकते हैं।
  • यह सब कुछ हो जाने के बाद आप उस शिकायत को मानवाधिकार आयोग के समक्ष दर्ज कर दे और सबमिट बटन पर क्लिक कर दे।

जैसे ही आप शिकायत दर्ज करवा देंगे तो आपको अपनी स्क्रीन पर शिकायत का सब विवरण, अन्य संबंधित जानकारी दिखाई देगी। यह सब आपको मेल व मैसेज के माध्यम से आपकी ईमेल आईडी व मोबाइल नंबर पर भी भेज दी जाएगी।

2. मानवाधिकार आयोग में प्रपत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज करना( Registering a complaint through a form in the Human Rights Commission)

अब यदि आपको ऑनलाइन फॉर्म भरने में समस्या आती हैं या वह आपको सही से समझ नही आता हैं तो आप ऑफ़लाइन शिकायत इस पते Manav Adhikar Bhawan,TC-34, V-1, Vibhuti Khand, Gomti Nagar,Lucknow-226010 पर जरीए डाक भेज सकते है |

शिकायत प्रपत्र प्रारूप 

शिकायतकर्ता का  विवरण
1. नाम- ....................................
2. लिंग- ..................................
3. पता- ....................................
4. राज्य ....................................
5. जिला ....................................
6. आपके इलाके का पिन कोड़/ई-मेल आईडी तथा मोबाइल नं., यदि उपलब्ध हो
पीड़ित का विवरण
7. नाम -...................................
8. पता -..................................
9. राज्य -..................................
10. जिला -...................................
11. लिंग -...................................
12. पिन कोड़-...........................
14. आयु पीड़ित की -...........................
15. धर्म-.................................
16. जाति -..................................
घटना का विवरण
17. स्थान-.......................................
18. राज्य -.......................................
19. जिला-.......................................
20. घटना की तिथि-.........................
21. घटना की श्रेणी-.........................
22. घटना की उपश्रेणी-...................
23. शिकायत लिखें घटना/शिकायत के तथ्यों/आरोपों का संक्षिप्त विवरण
24. क्या इसे किसी न्यायालय/राज्य मानव अधिकार आयोग के समक्ष दर्ज़ किया गया है उस विकल्प का चयन करें जहां इस घटना की शिकायत को किसी न्यायालय अथवा मानव अधिकार आयोग के समक्ष दर्ज़ किया गया हो
राहत का विवरण
25. लोकसेवक का नाम, पदनाम एवं पता उस लोकसेवक/अधिकारी का पूर्ण विवरण लिखें जिसके विरुद्ध शिकायत की गई है।
26. जिसके लिए राहत मांगी गई है-मानव अधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध मांगी गई राहत का पूर्ण विवरण लिखें|

दिनांक :-                                                                                                                              ह०शिकायतकर्ता 

तो आपको जो भी तरीका उचित लगता हैं आप उन्हें उसी तरह से यह प्रपत्र भरकर भेज सकते हैं। इस प्रपत्र के साथ यदि आप अपने संबंधित डाक्यूमेंट्स भी सलंग्न कर देंगे तो ज्यादा जल्दी कार्यवाही होने की संभावना रहेगी।

3. मानवाधिकार आयोग में पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज करना(Filing a complaint through a letter in the Human Rights Commission)

अब यदि आपको ऊपर दिए गए दोनों तरीके ही मुश्किल नज़र आते हैं या आप इन्हें पढ़कर चिंता में पड़ गए हैं और समझ नही पा रहे हैं कि आप अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ हुए मानवाधिकार हनन की शिकायत मानवाधिकार आयोग के समक्ष सिंपल तरीके से कैसे करें तो इसके लिए भी मानवाधिकार आयोग ने एक सुविधा दी हुई हैं।

इसके लिए आप बस एक सिंपल कागज ले और उस पर घटना से संबंधित सब जानकारी लिखे। इसमें आप यह लिखे कि किस व्यक्ति के साथ और कैसे मानवाधिकार का हनन हुआ हैं और आप उस पर क्या कार्यवाही चाहते हैं। इसी के साथ आप उसमे अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर व अन्य संपर्क जानकारी अवश्य दे। इस बात का प्रमुखता के साथ ध्यान रखे कि आपकी भाषा व लेखन शैली सही और समझ में आनी चाहिए। यदि यह स्पष्ट नही हुई तो आपके फॉर्म को उसी समय निरस्त कर दिया जाएगा।अब जब आप इस पत्र को लिख दे तो आप उसे मानवाधिकार आयोग के पते पर भेज दे। इसे आप पोस्ट के माध्यम से भेज सकते हैं या सामान्य डाक भी कर सकते हैं। मानवाधिकार आयोग का पता हैं:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, मानव अधिकार भवन, ब्लॉक सी, जीपीओ काम्प्लेक्स, आई एन ए, नयी दिल्ली, 110023

मानवाधिकार आयोग का टोल फ्री नंबर (nhrc customer care number)

अब यदि आप मानवाधिकार आयोग से फोन पर बातचीत करना चाहते हैं या उनसे संपर्क करना चाहते हैं या उनसे किसी तरह की सहायता चाहते हैं तो उनके द्वारा स्वयं से संपर्क करने के लिए हेल्पलाइन नंबर, टोल फ्री नंबर इत्यादि सब दिया हुआ हैं। आप उनमे से किसी (Manav adhikar complaint number) भी नंबर पर फोन करके उनसे संपर्क कर सकते हैं।
मानवाधिकार आयोग का फोन नंबर: 91-11-24651330, 91-11-24663333
एनएचआरसी टोल फ्री हेल्प लाइन नं. : 14433
फैक्स नं. विधि प्रभाग (शिकायत दर्ज करने के लिए): 91-11-24651332
प्रशासन प्रभाग: 91-11-24651329
अन्वेषण प्रभाग: 91-11-24663304 (समूह I), 91-11-24663312 (समूह III)

      तो इस तरह से आज आपने इस लेख के माध्यम से मानवाधिकार आयोग के बारे में सब जानकारी ले ली हैं। इसलिए आगे से आप अपने और अपने जानने वालों के मानवाधिकारों के प्रति सजग बने रहे और एक जागरूक नागरिक होने के नाते कही भी यदि मानवाधिकारों का हनन होते हुए दिखाई दे तो अवश्य ही उसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग के समक्ष करें। 

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