आज के इस लेख में हम आपको आपके मानवाधिकार बताएँगे। साथ ही आपको यह भी जानने को मिलेगा कि यदि किसी तरह से आपके मानवाधिकारों (Manvadhikar aayog me complaint kaise kare) का हनन होता हैं तो आप उसकी शिकायत किस तरह से मानवाधिकार आयोग में कर सकते हैं और उसकी क्या प्रक्रिया हैं।

भारत सरकार के द्वारा देश के नागरिकों के मानव अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया हैं। हमारे देश का एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हैं तो हर राज्य के भी अपने अपने मानवाधिकार आयोग हैं। उदाहरण के तौर पर राजस्थान का राजस्थान मानवाधिकार आयोग तो केरल का केरल मानवाधिकार आयोग। इसी प्रकार देश के हर राज्य के मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के द्वारा देश के सभी नागरिकों के मानवाधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती हैं।तो अब यदि किसी तरह के आपके मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ हैं या हनन हुआ हैं या फिर आपके किसी जानने वाले या जानकर में किसी व्यक्ति (Manvadhikar aayog me shikayat kaise kare) के मानवाधिकारों का हनन हुआ तो आप उसके लिए संबंधित राज्य के मानवाधिकार आयोग में या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके लिए भारत सरकार के द्वारा ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों तरह की व्यवस्था दी गयी हैं जहाँ पर आप मानवाधिकार आयोग को शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और अपने साथ हुए अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठा सकते हैं।आइए जाने मानवाधिकार आयोग में शिकायत करने से संबंधित जानकारी।
मानवाधिकार क्या होते हैं? (Manav adhikar kya hai)
सबसे पहले यह बात की जाए कि आखिरकार यह मानवाधिकार होते क्या हैं और इसका किस तरह से आपसे संबंध हैं। तो यदि हम मानवाधिकार शब्द का संधि विच्छेद करेंगे तो यह दो शब्दों के मेल से बना हुआ होता हैं। ये शब्द हैं मानव और अधिकार। कहने का अर्थ यह हुआ कि हमने कानून तो बना लिए जिसमें किसी व्यक्ति के साथ कोई जुर्म होने पर सामने वाले व्यक्ति को दंड देने (Manav adhikar kya hota hai) का प्रावधान हैं किंतु उनका क्या जो हमारे मानव होने के अधिकार हैं। कानून तो केवल हमारे मौलिक अधिकारों के हनन होने पर ही हमें न्याय देता हैं।यही कारण हैं कि इसके लिए मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया जिसके तहत मानव के अधिकारों का हनन होने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाती हैं और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया जाता हैं। फिर चाहे अपराधी पक्ष स्वयं पुलिस वाले, सरकारी अधिकारी या उच्च पद पर बैठा व्यक्ति ही क्यों ना हो। तो ऐसे में मानवाधिकार आयोग के द्वारा इन मानवाधिकारों को वर्गीकृत किया गया हैं। यदि इनमे से आपके किसी मानवाधिकार का हनन होता हैं तो आप उसकी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं।
मानव अधिकारों की उत्पत्ति(Origin of human rights)
‘मानवाधिकार’ शब्द का प्रयोग 20वीं शताब्दी में किया गया था। इसके पहले अधिकारों के संदर्भ में ‘प्राकृतिक अधिकार’ अथवा ‘व्यक्ति के अधिकार’ शब्द प्रचलन में थे। प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी में प्रसिद्ध दार्शनिकों ग्रोशियस, हॉब्स और लॉक की रचनाओं में हुई थी। उन्होंने बताया था कि प्राकृतिक अधिकारों का मुख्य आधार ‘प्राकृतिक कानून’ हैं। यह कानून प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता तथा संपत्ति का सम्मान करने की बात कहते हैं। जॉन लॉक ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “दी टू ट्रीटसेज़ ऑन गवर्नमेंट” में इन प्राकृतिक सिद्धांतों का उल्लेख किया है।
इसके अलावा, 1776 में अमेरिका द्वारा स्वतंत्रता के संबंध में जारी किये गए घोषणापत्र में भी कहा गया था कि ‘सभी व्यक्ति समान पैदा हुए हैं तथा सृष्टिकर्ता ने उन्हें जीवन, स्वतंत्रता तथा सुख की प्राप्ति जैसे कुछ अदेय अधिकार प्रदान किये हैं।’ तत्पश्चात 1789 में फ्रांस द्वारा घोषित मानव और नागरिक अधिकारों के घोषणापत्र में एक बार फिर व्यक्ति के अधिकारों की प्राकृतिक व अदेयता की बात कही गई थी। इन देशों ने अपने नागरिकों को ये अधिकार एक व्यक्ति होने के नाते दिया था न कि एक राज्य होने के नाते।
17वीं और 18वीं शताब्दी में प्राकृतिक अधिकारों से संबंधित जो घोषणाएँ की गई थीं; 20वीं शताब्दी में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार घोषणापत्र और इनसे संबंधित कई अन्य समझौतों के माध्यम से उन्हीं का और विस्तार किया गया। आसान भाषा में कहें तो मानवाधिकार पुराने प्राकृतिक अधिकारों के ही उत्तराधिकारी हैं।
मानवाधिकार के प्रकार (Manav adhikar ke prakar)
अब यदि आप मानवाधिकार आयोग में अपने मानवाधिकारों के हनन से संबंधित शिकायत दर्ज करवाने जा रहे हैं तो आपका यह जानना अति आवश्यक हो जाता हैं कि आप किन किन मानवाधिकारों के हनन होने पर उसकी शिकायत कर सकते हैं। इस स्थिति में मानवाधिकार आयोग के द्वारा इन मानवाधिकारों को 10 भागों में विभाजित किया गया हैं।इसके अंतर्गत पुलिस, सरकारी अधिकारी, सरकारी विभाग या किसी अन्य सरकारी संस्था या व्यक्ति के द्वारा उक्त मामलों में मानवाधिकार हनन की कार्यवही की जा सकती हैं:
- गैरकानूनी नजरबंदी, झूठे आरोप, हिरासत में हिंसा, अवैध गिरफ्तारी या अन्य पुलिस ज्यादती।
- फेक एनकाउंटर में मृत्यु, हिरासत में मृत्यु या अत्याचार, कैदियों पर अत्याचार करना।
- कैदी की सजा पूरी हो जाने के बाद भी उसे तंग करना या उसे जेल में रखना।
- आरक्षित वर्ग के लोगों को सामाजिक और सरकारी सुविधाओं से वंचित रखना या उन्हें उनके अधिकार नही देना।
- बंधुआ मजदूरी करवाना, बाल विवाह या बाल मजदूरी करवाना।
- दहेज़ की मांग करना, दहेज के लिए प्रताड़ित करना या महिला के विरुद्ध यौन अपराध या उसका शोषण करना।
- मानव तस्करी, अपहरण, यौन हमला, हत्या या उसका प्रयास, भ्रष्टाचार या ऐसा कोई भी अपराध जो कानून के तहत दंडनीय है लेकिन पुलिस उसे रजिस्टर करने से माना करें।
- समलैंगिक पुरुषों या महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध या उनके अधिकारों का उल्लंघन होना।
- बड़े प्रोजेक्ट्स में अनियमितता होने के कारण अधिक मात्रा में प्रदूषण का होना और मानवों का स्वास्थ्य प्रभावित होना।
- ऐसी पुलिस शिकायतों पर कार्यवाही नही करना जिसके कारण सामाजिक या धार्मिक हिंसा भड़क सकती हो।
मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा(universal declaration of human rights)
मानवाधिकार की शिकायत कौन कर सकता है?(Who can file a human rights complaint?)
- जिस भी व्यक्ति के साथ अन्याय हुआ हैं या उसके मानवाधिकार का हनन हुआ हैं तो वह मानवाधिकार आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता हैं।
- उस व्यक्ति के लिए उसका कोई भी जानने वाला फिर चाहे वह उसका परिवार का हो या रिश्तेदार हो या मित्र हो या जानने वाला हो।
- ऐसा कोई व्यक्ति जो उस व्यक्ति को जनता भी ना हो लेकिन यदि उसे लगता हैं कि उस व्यक्ति के मानवाधिकारों का हनन हुआ हैं तो भी वह उसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग में कर सकता हैं।
- स्वयं मानवाधिकार आयोग भी अपने आप ही संबंधित मामले में स्वतः संज्ञान ले सकता हैं। इसके लिए वह मीडिया की रिपोर्ट्स या अन्य जानकारी को आधार बना सकता हैं।
मानवाधिकार आयोग के द्वारा किन शिकायतों को सामान्यतया नही लिया जाएगा?(Which complaints will not normally be taken up by the Human Rights Commission?)
- ऐसे मामले जो पहले से ही भारतीय न्यायिक प्रक्रिया के अधीन विचारनीय हैं या वहां लम्बित हैं तो उन्हें भी मानवाधिकार आयोग के तहत संज्ञान में नही लिया जाएगा।
- ऐसे मामले जो पहले से ही किसी राजकीय मानवाधिकार आयोग के अंतर्गत पंजीकृत हैं तो उन्हें भी किसी अन्य राज्य के मानवाधिकार आयोग में या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में नही सुना जाएगा।
- ऐसे मामले जहाँ मानवाधिकार का हनन हुआ ही ना हो या गलत श्रेणी के तहत मामला दर्ज किया जा रहा हो या जो तुच्छ मामला हो या यूँ ही दर्ज कर दिया गया हो तो वह भी अस्वीकृत कर दिया जाएगा।
- पेंशन, पारिवारिक पेंशन, रिटायरमेंट लाभ व मजदूरी से जुड़े मामलों के अलावा अन्य सेवा से संबंधित मामलों को नही सुना जाएगा।
- भूमि, पारिवारिक, शादी इत्यादि से जुड़े मानवाधिकार के हनन से जुड़े मामले भी नही सुने जाएंगे।
मानवाधिकार आयोग में शिकायत कैसे करें? (How to file complaint in NHRC in Hindi)
1. मानवाधिकार आयोग में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना
- इसके लिए सबसे पहले तो आपको मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर जाना होगा जिसका लिंक https://nhrc.nic.in/hi/ हैं।
- इस वेबसाइट को खोलने के बाद आपको इसमें ऊपर दिए गए मेन्यू में एक विकल्प मिलेगा जिस पर लिखा होगा “शिकायत”। आपको इस पर अपना कर्सर लेकर जाना हैं, इसके बाद एक ड्रापडाउन सूची आपके सामने आ जाएगी।
- इस सूची में पहला ही विकल्प होगा जिस पर लिखा होगा “ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण” जिस पर आपको क्लिक करना होगा।
- जैसे ही आप इस विकल्प पर क्लिक करेंगे तो आपके सामने एक नया पेज खुल जाएगा। आप चाहे तो सीधा इस लिंक https://www.hrcnet.nic.in/HRCNet/public/webcomplaint.aspx पर क्लिक कर भी वहां पहुँच सकते हैं।
- यदि आपका यह पेज अंग्रेजी भाषा में खुलता हैं तो आपको ऊपर ही दाए कोने में हिंदी लिखा हुआ मिलेगा, जिस पर क्लिक करने से संपूर्ण फॉर्म हिंदी भाषा में खुल जाएगा।
- अब सबसे पहले तो आप इसमें अपने राज्य या देश का चयन कर ले और उसके बाद आप यह चयन करे कि आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत करना चाहते हैं या अपने राज्य के मानवाधिकार आयोग के समक्ष।
- उसके बाद आपको अपना मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी को डालकर उसको सत्यापित करना होगा। यह सत्यापन आपके नंबर पर एक कोड भेजकर किया जाएगा जिसे आपको सिस्टम में डालना होगा और आगे बढ़ना होगा।

- इसके भरे जाने के बाद आपको अपना संपूर्ण विवरण, पीड़ित पक्ष का सब विवरण, यदि आप ही पीड़ित हैं तो फिर से अपना सब विवरण, हुई घटना का सब विवरण, आप क्या चाहते हैं और इसके अलावा अन्य सब जानकारी ध्यानपूर्वक भरनी होगी।
- जब आप यह सब जानकारी भर दे तो उसका प्रीव्यू अवश्य देख ले और भरी गयी जानकारी को अच्छे से चेक कर ले ताकि कुछ गलत जानकारी या भ्रामक जानकारी ना भरी गयी हो।

- इसके साथ ही आप अपने या उस घटना से संबंधित यदि किसी तरह के डाक्यूमेंट्स को सलंग्न करना चाहते हैं तो आप वह भी कर सकते हैं।
- यह सब कुछ हो जाने के बाद आप उस शिकायत को मानवाधिकार आयोग के समक्ष दर्ज कर दे और सबमिट बटन पर क्लिक कर दे।
जैसे ही आप शिकायत दर्ज करवा देंगे तो आपको अपनी स्क्रीन पर शिकायत का सब विवरण, अन्य संबंधित जानकारी दिखाई देगी। यह सब आपको मेल व मैसेज के माध्यम से आपकी ईमेल आईडी व मोबाइल नंबर पर भी भेज दी जाएगी।
2. मानवाधिकार आयोग में प्रपत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज करना( Registering a complaint through a form in the Human Rights Commission)
शिकायत प्रपत्र प्रारूप
तो आपको जो भी तरीका उचित लगता हैं आप उन्हें उसी तरह से यह प्रपत्र भरकर भेज सकते हैं। इस प्रपत्र के साथ यदि आप अपने संबंधित डाक्यूमेंट्स भी सलंग्न कर देंगे तो ज्यादा जल्दी कार्यवाही होने की संभावना रहेगी।
3. मानवाधिकार आयोग में पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज करना(Filing a complaint through a letter in the Human Rights Commission)
अब यदि आपको ऊपर दिए गए दोनों तरीके ही मुश्किल नज़र आते हैं या आप इन्हें पढ़कर चिंता में पड़ गए हैं और समझ नही पा रहे हैं कि आप अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ हुए मानवाधिकार हनन की शिकायत मानवाधिकार आयोग के समक्ष सिंपल तरीके से कैसे करें तो इसके लिए भी मानवाधिकार आयोग ने एक सुविधा दी हुई हैं।
मानवाधिकार आयोग का टोल फ्री नंबर (nhrc customer care number)
तो इस तरह से आज आपने इस लेख के माध्यम से मानवाधिकार आयोग के बारे में सब जानकारी ले ली हैं। इसलिए आगे से आप अपने और अपने जानने वालों के मानवाधिकारों के प्रति सजग बने रहे और एक जागरूक नागरिक होने के नाते कही भी यदि मानवाधिकारों का हनन होते हुए दिखाई दे तो अवश्य ही उसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग के समक्ष करें।
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