ब्लैक वारंट क्या है?
**ब्लैक वारंट** (Black Warrant) भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक आदेश है, जो किसी दोषी को मृत्यु दंड (फांसी) देने के लिए जारी किया जाता है। इसे **"डेथ वारंट"** या **"वारंट फॉर एक्ज़ीक्यूशन ऑफ़ सेंटेंस ऑफ़ डेथ"** भी कहा जाता है।
ब्लैक वारंट से जुड़ी मुख्य बातें
1. **भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 413-414**
- जब किसी व्यक्ति को किसी न्यायालय द्वारा मृत्यु दंड दिया जाता है, तो उच्च न्यायालय की पुष्टि के बाद यह दंड लागू किया जाता है।
- न्यायालय, जेल प्रशासन को **ब्लैक वारंट (फांसी का वारंट)** जारी करता है, जिसमें मृत्यु दंड की तिथि, समय और स्थान निर्धारित किया जाता है।
2. **धारा 366 - उच्च न्यायालय की पुष्टि आवश्यक**
- किसी भी दोषी को दी गई मृत्यु दंड की सजा को **उच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि** किया जाना आवश्यक है, इससे पहले कि ब्लैक वारंट जारी किया जाए।
3. **ब्लैक वारंट पर न्यायाधीश के हस्ताक्षर**
- यह आदेश संबंधित सत्र न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है और इसमें **न्यायाधीश के हस्ताक्षर** होते हैं।
- वारंट को **ब्लैक इंक (काली स्याही)** से लिखा जाता है, इसलिए इसे "ब्लैक वारंट" कहा जाता है।
4. **कब जारी किया जाता है?**
- जब किसी दोषी के पास **सभी कानूनी विकल्प समाप्त** हो जाते हैं, जैसे:
- उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील का निष्कर्ष
- दया याचिका की अस्वीकृति (राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा)
- इसके बाद **सेशन कोर्ट ब्लैक वारंट जारी करता है** और दोषी को तय तिथि पर फांसी दी जाती है।
5. **जेल प्रशासन की भूमिका**
- जेल मैनुअल के अनुसार, दोषी को ब्लैक वारंट जारी होने के बाद **फांसी की सजा के लिए तैयार किया जाता है**।
- फांसी से कुछ घंटे पहले दोषी को **उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है** और धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति दी जाती है।
प्रसिद्ध मामलों में ब्लैक वारंट
- **निर्भया गैंगरेप केस (2020)** – चार दोषियों को ब्लैक वारंट जारी करके फांसी दी गई।
- **अफजल गुरु (2013)** – संसद हमले के दोषी को ब्लैक वारंट के तहत फांसी दी गई।
- **याकूब मेमन (2015)** – 1993 मुंबई धमाकों के आरोपी को ब्लैक वारंट जारी करके फांसी दी गई।
निष्कर्ष
ब्लैक वारंट भारतीय न्याय प्रणाली का अंतिम आदेश होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि किसी अपराधी को कानूनी प्रक्रिया के तहत निर्धारित फांसी की सजा दी जाए। यह केवल तब जारी होता है जब कोई दोषी **अपनी सभी अपील और दया याचिकाओं का उपयोग कर चुका होता है** और न्यायालय अंतिम निर्णय पर पहुँच चुका होता है।
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