जब हैं नारी में शक्ति सारी, तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी…When there is all the power in a woman, then why should a woman be called poor…

महिला सशक्तीकरण क्या है?-What is women empowerment?
- महिलाओं में आत्म-मूल्य की भावना
- महिलाओं को उनके अधिकार और उनको निर्धारित करने की स्वतंत्रता
- समान अवसर और सभी प्रकार के संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करने का महिलाओं का अधिकार
- घर के अंदर और बाहर अपने स्वयं के जीवन को विनियमित करने और नियंत्रित करने का महिलाओं को अधिकार
- अधिक सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था बनाने में योगदान करने की महिलाओं की क्षमता।
महिला सशक्तिकरण की ज़रूरत क्यों ?-Why the need for women empowerment?
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता-Need of women empowerment in india.
भारत में महिला सशक्तिकरण-Women empowerment in india.
भारत में महिला सशक्तिकरण की पहल-Women Empowerment Initiatives in India.
संविधान और महिला सशक्तिकरण-Constitution and women empowerment.
- अनुच्छेद 14 महिलाओं को समानता का अधिकार सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 15 (1) विशेष रूप से लिंग के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
- अनुच्छेद 15 (3) राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 16 किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता प्रदान करता है।
महिला सशक्तिकरण के लिए विशिष्ट कानून-Specific laws for women empowerment.
- समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961
- अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम, 1956
- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
- गर्भावस्था अधिनियम का अंत, 1971
- सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम, 1987
- बाल विवाह अधिनियम, 2006 का निषेध
- प्री-कॉन्सेशेशन एंड प्री-नेटाल डायग्नॉस्टिक टेक्निक्स (विनियमन और निवारण) अधिनियम, 1994
- कार्यस्थल पर महिलाओं की यौन उत्पीड़न (रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम, 2013
भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं-Obstacles coming in the way of women empowerment in India.
- सामाजिक मापदंड
- कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण
- लैंगिग भेदभाव
- श्रम के बदले में भुगतान में असमानता
- अशिक्षा
- बाल विवाह
- महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध
- कन्या भ्रूणहत्या
महिला सशक्तिकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं-International commitments to women empowerment.
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा चलायी गयी कुछ प्रमुख योजना और सरकारी नीतियां-Some major schemes and government policies run by the government for women empowerment.
- महिलाओं के पूर्ण विकास हेतु सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक नीतियों के माध्यम से एक पर्यावरण का सृजन करने के लिए उन्हें अपनी पूरी क्षमता का पता लगाना।
- सभी राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और नागरिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान आधार पर महिलाओं द्वारा सभी मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता के आनंद के लिए पर्यावरण का निर्माण करना।
- राष्ट्र के सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी और निर्णय लेने के लिए समान पहुंच प्रदान करना।
- स्वास्थ्य देखभाल, सभी स्तरों पर गुणवत्ता की शिक्षा, करियर और व्यावसायिक मार्गदर्शन, रोजगार, समान पारिश्रमिक, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक जीवन आदि के लिए महिलाओं को समान अवसर प्रदान करना।
- महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से कानूनी प्रणाली को सुदृढ़ बनाना।
- सक्रिय भागीदारी और पुरुषों और महिलाओं दोनों की भागीदारी द्वारा सामाजिक व्यवहार और समुदाय प्रथाओं को बदलना।
- विकास प्रक्रिया में लिंग के परिप्रेक्ष्य में मुख्यधारा।
- भेदभाव, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के सभी प्रकार का उन्मूलन।
- सिविल सोसाइटी विशेष रूप से महिला संगठनों के साथ साझेदारी का निर्माण और मजबूत करना।
- महिला और बाल विकास मंत्रालय महिलाओं के कल्याण, विकास और सशक्तिकरण से संबंधित सभी मामलों के लिए नोडल एजेंसी है।
कुछ प्रमुख योजना-
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
- नेशनल मिशन फॉर इम्पावरमेंट ऑफ़ वूमेन
- कार्य महिला छात्रावास योजना
- महिला हेल्पलाइन योजना
- वन स्टॉप सेन्टर योजना
- स्वाधार गृह योजना
- राजीव गाँधी राष्ट्रीय आंगनवाड़ी योजना
- उज्जवला योजना
- सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)
- पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
- महिला शक्ति केंद्र
महिलाओ की उपलब्धियों-Achievements of women.
- 1848 : सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर भारत के पुणे में महिलाओ के लिये स्कूल खोली. इस प्रकार सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी.
- 1898 : भगिनी निवेदिता ने महिला स्कूल की स्थापना की.
- 1916 : 2 जून 1916 को पहली महिला यूनिवर्सिटी SNDT महिला यूनिवर्सिटी की स्थापना सामाजिक समाज सुधारक धोंडो केशव कर्वे ने सिर्फ पांच विद्यार्थियों के साथ मिलकर की.
- 1917 : भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की एनी बेसेन्ट पहली महिला अध्यक्षा बनी.
- 1925 : सरोजिनी नायडू भारत में जन्मी, भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की पहली अध्यक्षा बनी.
- 1927 : आल इंडिया विमेंस कांफ्रेंस (All India Women’s Conference) की स्थापना की गयी.
- 1947 : 15 अगस्त 1947 को आज़ादी के बाद सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला गवर्नर बनी.
- 1951 : डेक्कन एयरवेज की प्रेम माथुर भारत की पहली कमर्शियल महिला पायलट बनी.
- 1953 : विजया लक्ष्मी पंडित यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली की भारत की पहली महिला अध्यक्षा बनी.
- 1959 : अन्ना चंडी हाई कोर्ट (केरला हाई कोर्ट) ,भारत की पहली महिला जज बनी.
- 1963 : उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और किसी भी भारतीय राज्य में इस पद पर रहने वाली सुचेता कृपलानी पहली महिला थी.
- 1966 : कमलादेवी चट्टोपाध्याय को कम्युनिटी लीडरशिप के लिये रोमन मेग्सय्सय अवार्ड से सम्मानित किया गया.
- 1966 : इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी.
- 1970 : कमलजीत संधू एशियाई खेलो में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी.
- 1972 : भारतीय पुलिस दल मे शामिल होने वाली किरन बेदी पहली महिला बनी.
- 1979 : मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया, इसे हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला नागरिक है.
- 1984 : 23 मई को बचेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने पहली भारतीय महिला बनी.
- 1986 : सुरेखा यादव भारत और एशिया की पहली महिला लोको-पायलट, रेलवे ड्राईवर बनी.
- 1989 : न्यायमूर्ति एम्. फातिमा बीवी भारतीय सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी.
- 1992 : प्रिया झिंगन इंडियन आर्मी में शामिल होने वाली पहली महिला कैडेट बनी.
- 1999 31 अक्टूबर को सोनिया गाँधी भारतीय विपक्षी दल की पहली महिला नेता बनी.
- 2007 : 25 जुलाई को प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी.
हम खुद को आधुनिक कहने लगे हैं, लेकिन सच यह है कि मॉर्डनाइज़ेशन सिर्फ हमारे पहनावे में आया है लेकिन विचारों से हमारा समाज आज भी पिछड़ा हुआ है। आज महिलाएं एक कुशल गृहणी से लेकर एक सफल व्यावसायी की भूमिका बेहतर तरीके से निभा रही हैं। नई पीढ़ी की महिलाएं तो स्वयं को पुरुषों से बेहतर साबित करने का एक भी मौका गंवाना नहीं चाहती। लेकिन गांव और शहर की इस दूरी को मिटाना जरूरी है।
हमें महिलाओं की समस्याओं के बारे में समाज के पुरुष सदस्यों को शिक्षित और संवेदित करना है और उनके बीच एकजुटता और समानता की भावना पैदा करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने भेदभावपूर्ण व्यवहारों को कमजोर वर्ग की ओर रोक दें। सबसे पहले हमारे घरों से सभी प्रयास शुरू होने चाहिए जहां हमें किसी भी भेदभाव के बिना शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और निर्णय लेने के समान अवसर प्रदान करके हमारे परिवार के महिला सदस्यों को सशक्त करना चाहिए।
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