स्वागत अभिन्दन सादर प्रणाम हम एक नये लेख के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत है आज हम आपको समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के गंभीर समस्या के बारे में बताएँगे साथ ही इस आर्टिकल में भ्रष्टाचार क्या है ?-भ्रष्टाचार की परिभाषा ,प्रकार ,विशेषताए ,कारण ,दुष्प्रभाव समाधान इन सभी विषयों पर विस्तार से बतलायेंगे !आर्टिकल को पढना जारी रखें >>>>>>>
भूमिका
भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जो समाज के सभी क्षेत्रों में पायी जाती है। इसे एक गंभीर विश्वासघात के रूप में देखा जाता है । भ्रष्टाचार का अर्थ होता है निष्पक्षता और ईमानदारी के बिना अधिकार का प्रयोग करना या अधिकार के विपरीत काम करना। भ्रष्टाचार अक्सर रिश्वत लेना और देना, जालसाजी, सामाजिक विवादों में दखल देना, नेताओं द्वारा आर्थिक और सामाजिक दलाली का प्रयोग करना और सरकारी विभागों में भी दलाली करना जैसी अनेक रूपों में दिखता है। इससे अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं जो एक सकारात्मक समाज के विकास को रोकती हैं।सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की समस्या से विश्व के सभी समाज पीड़ित हैं। सम्भवतः आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ-साथ भ्रष्टाचार में भी वृद्धि हुई है। भारत में सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है। सरकारी मशीनरी और राजनेताओं के भ्रष्ट कारनामे आम जनता को हैरान करते हैं। दरअसल इन कारनामों से जनता का भरोसा उन पर से उठ रहा है. आज धारणा यह है कि सब अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं, जनता की पीड़ा सुनने या दूर करने में किसी की रुचि नहीं है।
ऐतिहासिक रूप से, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी एक ऐसी व्यवस्था में पनपती है जहां आर्थिक संसाधनों वाले और सशक्त लोग काम करते हैं, जो कानूनी और नैतिक मानदंडों के विपरीत व्यवहार करते हैं। इस वर्ग में नौकरशाही, राज्य सत्ता और उद्योग से जुड़े लोग शामिल हैं। उपहार, सुविधा शुल्क, धन आदि के द्वारा अधिकार सशक्त वर्ग से संपर्क करने का प्रयास भी भ्रष्टाचार का ही एक रूप है जो भारत में अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है।
भ्रष्टाचार का अर्थ
- न्यायिक भ्रष्टाचार: -न्यायिक भ्रष्टाचार का अर्थ है कि कोई व्यक्ति या संगठन अपने न्यायाधीशों के मश्रीत्व के लिए धनराशि का इस्तेमाल करते हैं। यह एक अधिक गंभीर समस्या है जो कि सार्वजनिक न्याय से विश्वासघात करती है।
- आर्थिक भ्रष्टाचार: -आर्थिक भ्रष्टाचार एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति या संगठन धनराशि का अवैध इस्तेमाल करते हैं ताकि वे अपने निजी लाभ के लिए अधिक धन कमा सकें। इसमें शामिल हैं, कर अवैध छिपाने, अर्थव्यवस्था में धनराशि का अवैध उपयोग, लेकिन इसमें निजी सेक्टर के भी व्यवहार शामिल होते हैं जहां कम्पनियां, व्यापारियों या बैंकों द्वारा धनराशि का अवैध इस्तेमाल किया जाता है।
भ्रष्टाचार की परिभाषा
भ्रष्टाचार के लक्षण या विशेषताएं
- निजी लाभ के लिए सार्वजनिक धन का शोषण: -भ्रष्ट अधिकारी अक्सर सार्वजनिक धन का अपने निजी लाभ के लिए शोषण करते हैं। उन्हें धन के खिलाफ नीतियों और कानूनों का उल्लंघन करने के लिए निर्देशित किया जाता है।
- अनुचित सुविधाओं या नौकरियों के लिए भ्रष्ट उपयोग: -भ्रष्ट अधिकारी अक्सर अनुचित सुविधाओं या नौकरियों के लिए भ्रष्ट उपयोग करते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए होता है कि उन्हें आरक्षण, जाति या धर्म के आधार पर नौकरी दी जाती है।
- सुरक्षा तंत्र का दुरुपयोग: -भ्रष्ट अधिकारी अक्सर सुरक्षा तंत्र का दुरुपयोग करते हैं। वे लोगों को धमका देते हैं या उन्हें निर्वस्त्र करते हैं, जिन्होंने उन्हें उनके अपराधों के लिए पकड़ा है।
- निजी लाभ के लिए झूठी कार्यवाही: -भ्रष्ट अधिकारी अक्सर झूठी कार्यवाही करते हैं, जो उन्हेंनिजी लाभ के लिए फायदेमंद होती है। इसके उदाहरण में शामिल हैं झूठे कागजात बनाना, आधिकारिक दस्तावेजों में झूठा हस्ताक्षर करना या फिर अनुमति के बिना बाहरी फंड्स का उपयोग करना।
- दलाली और भ्रष्ट लाभ के लिए दलालों के साथ संबंध जोड़ना: -भ्रष्ट अधिकारी अक्सर दलालों को संबंध में लेते हैं जो उन्हें निजी लाभ के लिए दलाली करते हैं। उन्हें विशेष व्यक्तिगत फायदे के लिए सुनिश्चित किया जाता है जैसे कि कुछ पैसे का उचित शुल्क या निर्णय में समझौते के रूप में भ्रष्ट आचार में संशोधन।
- सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता को कम करना : भ्रष्ट अधिकारी सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता को कम करते हैं। उन्हें अपने अंतरंग समूहों से ज्यादा महत्व होता है और वे आम लोगों की जरूरतों को अनदेखा करते हैं।
- न्यायाधीशों और कानून के प्रति अनादर: -भ्रष्ट अधिकारी अक्सर न्यायाधीशों और कानून के प्रति अनादर दिखाते हैं और अपनी ही सुविधाओं के लिए कानूनों को व्यवस्थित करने की कोशिश नहीं करते। उन्हें यह भी परेशानी नहीं होती है कि वे इस तरह से न्याय के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
- धन के लिए भ्रष्टाचार: -भ्रष्ट अधिकारी धन के लिए भ्रष्टाचार करते हैं, उन्हें अनुमति नहीं होनी चाहिए लेकिन फिर भी वे अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए धन को गंभीरता से लेते हैं। यह उनके रूपवती वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
भ्रष्टाचार के क्षेत्र एवं स्वरूप
भ्रष्टाचार दुनिया भर में कई क्षेत्रों में होता है, जो निम्नलिखित हैं:
- राजनीतिक क्षेत्र: -राजनीति भ्रष्टाचार का मुख्य क्षेत्र है। यह देश के नेताओं, राजनेताओं और बड़े अधिकारियों के बीच निजी लाभ के लिए कानूनों को उलझा देता है। राजनीतिक भ्रष्टाचार देश की गति को रोकता है और आम लोगों के जीवन को नकारात्मक प्रभावित करता है।
- वित्तीय क्षेत्र: -वित्तीय भ्रष्टाचार बैंकिंग सेक्टर, शेयर बाजार, कर विभाग और अन्य वित्तीय संस्थाओं में होता है। यह उस धन के अधिकारी को लाभ पहुंचाता है, जो उसे गैरकानूनी तरीके से हासिल करता है। वित्तीय भ्रष्टाचार देश के अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है और सामाजिक विकास को रोकता है।
- सामाजिक क्षेत्र: -सामाजिक भ्रष्टाचार विभिन्न क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन, न्याय आदि। यह उन लोगों को प्रभावित करता है जो इन सेवाओं का लाभ हासिल करने के लिए आवते हैं। सामाजिक भ्रष्टाचार नेतृत्व, भ्रष्टाचारी नौकरी, दुर्लभ अनुदेशक और अन्य समस्याओं के माध्यम से देश के विकास को रोकता है।
- व्यापारिक क्षेत्र: -व्यापारिक भ्रष्टाचार उद्योग, व्यापार और व्यवसाय में होता है। यह व्यापार एवं विनियमन के नियमों का उल्लंघन करता है और लाभ के लिए अनुचित फायदे का उपयोग करता है। व्यापारिक भ्रष्टाचार अनुचित प्रभावित करता है और निजी कंपनियों और अधिकारियों को बड़ी धन वापसी के लिए प्रेरित करता है।
भ्रष्टाचार के स्वरूप कई तरह के होते हैं। यह निम्नलिखित हो सकते हैं:
- धन के भ्रष्ट उपयोग: -इसमें किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा अधिकार प्राप्त किया गया धन गैरकानूनी तरीके से या उन्नत चोरी या धोखे के माध्यम से उपयोग किया जाता है।
- व्यवस्था में भ्रष्टाचार: -इसमें आधिकारिक अधिकारी या नेता कानूनों को बेनकाब करके अपने निजी लाभ के लिए काम करते हैं।
- भ्रष्ट विद्युत्पादन में: -इसमें उत्पादन के दौरान धन खर्च कम करने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता को कम किया जाता है या निर्माताओं द्वारा जालसाजी तरीके से उपकरणों और सामान के दामों को बढ़ाया जाता है।
- सामाजिक क्षेत्र में: -इसमें नेतृत्व, पुलिस और जुड़े अधिकारियों के द्वारा देश के सामाजिक कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार होता है। इसमें स्कूलों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने के लिए लोगों को धन देना या अनुचित नेतृत्व द्वारा छात्रों के पास योग्यता न होने के बावजूद पदों पर नियुक्ति होती है।
- न्यायपालिका में: -न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का रोग बहुत आम हो गया है। इसमें विचाराधीन विवादों को सुलझाने के लिए धन देने या अनुचित तरीकों से कोर्ट फैसलों का निर्धारण करने की कोशिश की जाती है।
भारत में प्रमुख घोटालें
भारत में कुछ प्रमुख घोटालों के नाम निम्नलिखित हैं:
- बोफोर्स घोटाला: 1980 के दशक में भारत सरकार ने एक शक्तिशाली हथियार खरीदने के लिए बोफोर्स कंपनी को ठेके दिए थे। इस ठेके में घोटाला हुआ था जिसमें ठेकेदार ने बोफोर्स कंपनी के अधिकारियों को रिश्वत देकर शक्तिशाली हथियारों की आपूर्ति के लिए ठेका प्राप्त किया था।
- हरियाणा खेल घोटाला: 2010 में हरियाणा में आयोजित खेलों के नाम पर घोटाला सामने आया था। इस घोटाले में खेल के आयोजन में जुड़े अधिकारियों और संबंधित लोगों ने अधिक भोगदान करने के लिए अंतर्निहित आय को जुगाड़ कर लिया था।
- बंटवारे-डाक घोटाला: यह घोटाला 2013 में सामने आया था जब बंटवारे के एक प्रशासनिक अधिकारी के घर से बड़े पैमाने पर डाक निकला। इसमें बड़ी मात्रा में नकदी जुटाने और नकदी का गोलमाल करने का आरोप लगाया गया था।
- कोयला घोटाला: यह घोटाला 2012 में सामने आया था जिसमें राज्य के अधिकारियों ने दक्षिण अफ्रीका से कोयला आयात के लिए ठेका दिया था, लेकिन इस घोटाले में ठेकेदारों को अधिक भुगतान करने के बदले में कोयला सप्लाई कराने के लिए रिश्वत ली गई थी।
- CWG घोटाला: यह घोटाला 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से संबंधित था। इसमें आयोजन के दौरान कई उच्च स्तरीय अधिकारियों के संपर्क में आने वाली आपूर्ति में घोटाला हुआ था।
- टेलीकॉम घोटाला: 2008 में टेलीकॉम सेक्टर में एक घोटाला सामने आया था जिसमें कुछ अधिकारियों के संपर्क में आने वाली उपभोक्ताओं की जानकारी का उपयोग कर अनधिकृत वाणिज्यिक व्यवसाय करने का आरोप था।
भ्रष्टाचार के कारण
सामाजिक कारण
- जागरूकता का अभाव
- नैतिक मूल्यों का पतन
- बढ़ती उपभोक्तावादी संस्कृति एवं भौतिकवाद
- अत्यधिक जनसंख्या
- समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियाँ
- सामाजिक स्वीकार्यता
राजनितिक कारण
- नेता एवं अधिकारियों के बिच सांठ -गांठ
- राजनितिक का अपराधिकरण
- लोकतान्त्रिक शासन के दोष
- बढ़ता चुनावी खर्च
- राजनैतिक इच्छा शक्ति का आभाव
प्रशासनिक कारण
- जटिल नौकरशाही
- प्रणाली पारदर्शिता का आभाव
- प्रशासक में अनिश्चितता
- सहसब -प्रशासन में भ्रसताचार की स्वीकार्यता
आर्थिक कारण
- कम वेतन मान
- निजी स्वार्थ सिद्धि हेतु व्यपारियों ,उद्दोगपतियों और लोक प्रशासकों की मिली भगत
वैधानिक कारण
- भ्रष्टाचार रोधी कानूनों का प्रभावी क्रियान्वन नहीं
- जटिल न्यायिक प्रक्रिया
- कठोर कानूनों का अभाव
- सरकारी कर्मचारीयों को दिया गया अनुचित संरक्षण
भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव
- आर्थिक नुकसान: भ्रष्टाचार के कारण सार्वजनिक धन और संपत्ति का बड़ा हिस्सा व्यापक रूप से घोटाले, भ्रष्टाचार व लालच के कारण व्यय होता है। इससे अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ता है जिससे देश या क्षेत्र का विकास अधूरा रह जाता है।
- सार्वजनिक न्याय: व्यवस्था के खतरे: भ्रष्टाचार न्याय के मूल्यों को खतरे में डालता है और लोगों में भ्रष्टाचार के विरोध के लिए आवाज उठाने की प्रेरणा खत्म कर देता है। यह सार्वजनिक न्याय व्यवस्था में आस्था की कमी उत्पन्न करता है और लोगों के विश्वास को नुकसान पहुंचाता है।
- व्यक्तिगत नुकसान: भ्रष्टाचार वाले कार्यों से नुकसान होता है जो सीधे उस व्यक्ति से जुड़े होते हैं। यह उनकी संभावनाओं और जीवन गुणों को प्रभावित करता है|को भी अधिक हानि पहुंचाता है। सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए विकसित होने वाले कार्यक्रमों और परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के कारण कमी होती है और सार्वजनिक धन के विपरीत भ्रष्टाचार के माध्यम से धन के बहुत सारे भाग स्वयं लोगों के खातों में चले जाते हैं।
- सामाजिक नुकसान: भ्रष्टाचार ने समाज के विभिन्न वर्गों को भेदभाव का शिकार बनाया है। यह सामाजिक संबंधों, संस्कृति और अन्य समाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाता है।
- राजनीतिक नुकसान: भ्रष्टाचार ने राजनीतिक प्रक्रियाओं को भ्रष्ट कर दिया है। यह लोगों को देश के नेतृत्व पर विश्वास कम करता है और वे निराश होते हैं कि उनकी अपेक्षाओं का कोई पूर्ति नहीं होगा।
- अस्थिरता: भ्रष्टाचार ने सार्वजनिक विश्वास को खतरे में डाल दिया है। लोग नहीं जानते कि सरकारी निर्णय और कार्यों में भ्रष्टाचार की कितनी मात्रा शामिल है। यह अस्थिरता को बढ़ाता है और व्यवस्था के नाम पर लोगों को लुभाता है।
- विकास में बाधा: भ्रष्टाचार विकास के मार्ग में बड़ी बाधा है। इससे सरकार या व्यवस्था के द्वारा लोगों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं की कमी होती है
भ्रष्टाचार के कारण
भ्रष्टाचार को रोकने का उपाय
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
- सामाजिक चेतना बढ़ाना: सभी लोगों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरूक करना होगा। सामाजिक मीडिया जैसे टीवी, रेडियो, अखबार आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार द्वारा अभियान चलाना चाहिए।
- सख्त कानून बनाना: सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है। इसके लिए समय-समय पर कानूनों में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि कोई भी भ्रष्टाचार का काम न कर पाए।
- लोगों को जागरूक करना: जनता को भ्रष्टाचार के बारे में जागरूक करना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए निजी संस्थानों और सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है।
- सरकारी नीतियों को संशोधित करना: सरकारी नीतियों को संशोधित करके भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। यह सख्त नीतियों के रूप में हो सकता है जैसे नियमित जांच आदि।
- निर्देशक निकायों को मजबूत बनाना: भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निर्देशक निकायों को मजबूत बनाना आवश्यक है। ये निकाय जैसे लोकपाल, जांच एजेंसी आदि को अधिक सक्षम बनाना चाहिए ताकि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर सकें।
- विवेकी नेताओं का चयन करना: भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विवेकी नेताओं का चयन करना बहुत जरूरी है। इन नेताओं को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़नी चाहिए और जनता को उनके साथ खड़ा होना चाहिए।
कुछ अन्य उपाय
- सेवा शर्तों को आर्कर्शक बनाया जाए
- प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल किया जाए
- नैतिक संहिता एवं आचरण संहिता को स्थापित करना
- स्वविवेक की शक्तियों को कम करना
- जन जागरूकता को बढावा
- उच्च नैतिक/प्रशासनिक मूल्यों को बढ़ावा देना
- पारदर्शिता को बढ़ावा देना
- विकेंद्रीकरण एवं जन सहभागिता को बढ़ावा देना
- भ्रष्टाचार निवारण समस्याओं को राजनितिक हस्तक्षेप से मुक्त रखना
- समयबद्ध लेखा परीक्षा
- सूचना एकत्र करना
भ्रष्टाचार निवारण हेतु सरकारी प्रयास
- केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीबीआई): सीबीआई एक स्वायत्त संस्था है जो भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करती है। सीबीआई भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए तैनात होती है और जुर्माने भुगतान की मांग कर सकती है।
- लोकपाल विधेयक: लोकपाल विधेयक एक ऐसा विधेयक है जो लोकपाल को स्थापित करता है। लोकपाल एक अधिकारी होता है जो भ्रष्टाचार आरोपों की जांच करता है। इस विधेयक के जरिए सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने की क्षमता प्राप्त करती है।
- आईएएस और आईपीएस आदि के विभिन्न पदों पर भर्ती: सरकार ने इसके लिए भ्रष्टाचार के विरोध में खुली जंग लड़ने वाले अधिकारियों की भर्ती के लिए विभिन्न पद उपलब्ध कराए हैं। इससे सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी क्षमताओं का उपयोग कर सकती है और भ्रष्टाचार के विरुद्ध संगठित रूप से लड़ाई लड़ती है।
- सरकारी नीतियां: सरकार भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए नीतियों का अनुसरण करती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने के लिए सरकार नीतियों को सुधारती रहती है और नई नीतियों का भी विकास करती है।
- जनसुनवाई प्रणाली: सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनसुनवाई प्रणाली का उपयोग करना शुरू किया है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो लोगों को सीधे राज्य के नेताओं को अपने शिकायतों के लिए संपर्क करने की सुविधा प्रदान करती है। इससे सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोगों के सहयोग और समर्थन को प्राप्त कर सकती है।
भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का निर्माण
- प्रतिक्रिया उद्योगों के लिए विशेष कानून - इस कानून में निर्माण उद्योगों और सेवा के क्षेत्रों में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसमें सामान और सेवाओं की खरीद के लिए नियम बनाए जाते हैं, जो भ्रष्टाचार को रोकते हैं।
- लोकपाल और लोकायुक्त के नियम - यह कानून लोकपाल और लोकायुक्त के नियमों का संशोधन करता है जो राज्यों में भ्रष्टाचार के मामल को सुनिश्चित करते हैं। इसमें नियुक्तियों के लिए नियम बनाए जाते हैं जो निष्पक्ष तथा संवेदनशील होते हैं।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ संसदीय अधिकार - यह कानून संसद में भ्रष्टाचार के खिलाफ संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बनाया गया है। इसके द्वारा, संसद सदस्यों को उन्हें उठाने के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद में बोलते हैं।
- अधिकारियों के लिए सख्त से सख्त दंड - इस कानून में अधिकारियों जैसे कि जज, पुलिस अधिकारी और निरीक्षकों को भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त से सख्त दंड देने के लिए प्रावधान है। इसमें दंड या सजा के नियम बनाए जाते हैं जो अधिकारियों को अपने कामकाज को निष्पक्ष तथा ईमानदारी से करने के लिए प्रेरित करते हैं।
- भ्रष्टाचार के शिकारों की संरक्षा - इस कानून में भ्रष्टाचार के शिकारों की संरक्षा के लिए नियम बनाए गए हैं। इसमें साक्ष्य की सुरक्षा, गवाहों की सुरक्षा और उन्हें संरक्षित करने के लिए विभिन्न उपाय शामिल होते हैं। इसके द्वारा भ्रष्टाचार के शिकारों को संज्ञान में लेने का प्रयास किया जाता है और उन्हें संरक्षा दी जाती है।
- स्वच्छता की जांच - इस कानून में स्वच्छता की जांच के लिए नियम बनाए जाते हैं। इसमें सार्वजनिक संस्थानों और सरकारी निकायों के स्तर पर स्वच्छता और भ्रष्टाचार की जांच की जाती है।
- साक्ष्यों की सुरक्षा - इस कानून में साक्ष्यों की सुरक्षा के लिए नियम बनाए जाते हैं। इसमें उन साक्ष्यों की सुरक्षा के बारे में सोचा जाता है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ गवाही देते हैं।
- जुर्माना और जेल - भ्रष्टाचार के विरुद्ध कानून के तहत, जुर्माना और जेल भी नियमित तौर पर लगाये जाते हैं। इसके द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों और अन्य भ्रष्ट लोगों को सजा दी जाती है।
- उच्च स्तरीय जाँच - भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के तहत उच्च स्तरीय जाँच की जाती है। इससे भ्रष्टाचार करने वाले लोगों को बचना नामुमकिन होता है।
- जनता की सहभागिता - भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता की सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण होती है। लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने और सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
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