पुलिस आपको झूठे केस में फंसाए तो क्या करें?What to do if the police implicate you in a false case?
प्रस्तावना - Introduction
नमस्कार🙏 दोस्तों कैसे हो आप सब उम्मीद करता हूं कि सब ठीक होगा दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आप जान पाएंगे कि पुलिस थाने का इंचार्ज पुलिस वाला है या सब इंस्पेक्टर है या मामूली पुलिस वाला है या जो भी है। , अगर वह पुलिस वाला आपको झूठे मामले में फंसाता है या फंसाने की कोशिश करता है, या वह आपको झूठे मामले में फंसाने की धमकी देता है, तो ऐसी स्थिति में आप क्या कर सकते हैं कि पुलिस की हवा टाइट हो जाए? क्योंकि देखा जाए तो जिंदगी में हर इंसान को एक न एक दिन थाने के चक्कर लगाने ही पड़ते हैं और जिसमें हमें ये भी देखने को मिलता है कि कुछ भ्रष्ट पुलिस वाले आपके दुश्मन बन जाते हैं. पैसे की मिलीभगत करके, वे आपको डराते और धमकाते हैं या आपको झूठे मामले में फंसाने की धमकी भी देते हैं। ऐसे कई मामले हम आए दिन देखते रहते हैं और ऐसा किसी एक जिले की पुलिस का नहीं, बल्कि पूरे भारत का है. सभी जिलों और सभी राज्यों और ब्लॉकों में, हर जगह आपको कुछ ऐसे भ्रष्ट पुलिसकर्मी मिल जाएंगे जो गरीबों और बेसहारा लोगों से रिश्वत मांगते हैं।तो अब सवाल आता है कि अगर कोई पुलिसकर्मी रिश्वत मांगता है या अपने ही दुश्मन की मिलीभगत से किसी को झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करता है तो क्या इसके लिए कानून में कोई नियम और प्रावधान हैं, अगर कोई है तो हम अपना बचाव कैसे कर सकते हैं। और सबसे अहम बात यह है कि अगर कोई पुलिसकर्मी इस तरह से किसी मामले में फंसाने की कोशिश करता है तो उसके लिए कानून में सजा का क्या प्रावधान है.
जानिए ऐसी स्थिति में क्या करें, जब पुलिस आपको झूठे केस में फ़साये - Know what to do in such a situation, when the police implicate you in a false case.
यदि जांच में यह पाया जाता है कि लोकसेवक या पुलिस होने के नाते किसी व्यक्ति ने अपने अधिकार का दुरूपयोग किया है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 220 के तहत कार्रवाई की जाती है।यदि झूठे केस में फंसाए गए व्यक्ति का मामला न्यायालय में शुरू होता है तो उसे 7 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों से दंडित किया जाएगा।जब भी आपको पता चले कि आपको गलत तरीके से फंसाया गया है। आपके खिलाफ झूठे दस्तावेज तैयार किए हैं और इसमें पुलिस अधिकारी का हाथ है। यानी पुलिस अधिकारी जानता है कि आप निर्दोष हैं, फिर भी वह कानून का गलत इस्तेमाल कर अपने पद का गलत इस्तेमाल करता है।
आपके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करता है। तो इस मामले में आपको मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज करनी होगी, यह शिकायत सीआरपीसी की धारा 156 की उप श्रेणी 3 के तहत आएगी। इसके अलावा आप कोर्ट में भी शिकायत मामला दायर कर सकते हैं।
इसके अलावा इसी तरह की सजा के लिए आईपीसी की धारा 167 और आईपीसी की धारा 218 भी लगाई जाती है।
भारतीय दंड संहिता कि धारा 220 में क्या प्रावधान है ? - What is the provision in section 220 of the Indian Penal Code?
प्राधिकरण में किसी व्यक्ति द्वारा परीक्षण या कारावास के लिए प्रतिबद्ध होना जो जानता है कि वह कानून के विपरीत काम कर रहा है।अगर किसी व्यक्ति को आरोपी को अपनी हिरासत में रखने या मुकदमे के लिए पेश करने का कानूनी अधिकार है। यदि ऐसा अधिकारी कानून के जानबूझकर उल्लंघन में किसी व्यक्ति को गलत तरीके से हिरासत में लेता है, या पेश करने के लिए मजबूर करता है।इसे कारावास से, जिसकी अवधि 7 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह एक संज्ञेय और जमानती अपराध है।इस तरह के अपराध में थाने से ही जमानत हो जाती है। इस अपराध के तहत वारंट दिखाकर ही किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है और उस आरोपी की पेशी प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष होती है.जब कानून का रखवाला यानी एक पुलिसकर्मी किसी व्यक्ति को अवैध हिरासत में रखता है। अपने कानूनी अधिकार का गलत फायदा उठाता है और उस व्यक्ति के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज करा देता है।
भारत में कानूनी अधिकारों का प्रयोग करते हुए वह झूठे दस्तावेज तैयार करवाता है, ताकि किसी को झूठा फंसाया जा सके, उसे दंडित किया जा सके। तो ऐसे अधिकारी पर धारा 220 लगाई जाती है।कानून लोगों की रक्षा के लिए बनाए जाते हैं, और जो अधिकारी कानून की रक्षा के लिए नियुक्त किए जाते हैं, अगर वे इन चीजों का दुरुपयोग करते हैं और महान जनता को फंसाने की कोशिश करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 167 - Section 167 of the Indian Penal Code
अपराध: - एक लोक सेवक जो एक अशुद्ध दस्तावेज बनाता है या तैयार करवाता है, जो नुकसान पहुंचाने के इरादे से एक नकली दस्तावेज है।
व्याख्या:- किसी सरकारी अधिकारी द्वारा किसी को हानि पहुँचाने के आशय से जाली दस्तावेज तैयार करना। यह एक संज्ञेय और जमानती अपराध भी है। इसमें 3 साल की कैद और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।
इस अपराध में थाने से ही जमानत हो जाती है और पुलिस को बिना वारंट दिखाए आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार है. और इस आरोप के दोषी का मुकदमा प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी की अदालत में चलता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 218 - Section 218 of the Indian Penal Code.
अपराध: - किसी व्यक्ति को सजा या किसी संपत्ति को जब्ती से बचाने के इरादे से लोक सेवक द्वारा झूठा रिकॉर्ड बनाना या जालसाजी करना।
व्याख्या:- किसी व्यक्ति को सजा या अपराधी की संपत्ति से बचाने के उद्देश्य से लोक सेवक द्वारा झूठा रिकॉर्ड या लेखन तैयार करना। यह एक संज्ञेय और जमानती अपराध है।
इसकी सजा 3 साल तक और कारावास और जुर्माना दोनों हो सकता है। इस धारा में जमानत थाने से ही की जाती है। पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट ऐसे अपराधों के मामले की सुनवाई करते हैं।
मुझे आशा है कि लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि आप दिलचस्प विषयों पर इस तरह के और लेख पढ़ना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट indianlawfact.blogspot.comको फॉलो करें और लेख पसंद आया हो तो 👍 बटन दबाएँ
Hallo friends please spam comments na kare.post kesi lagi jarur bataye or post share jarur kare.