ग्राम समाज की ज़मीन पर माफ़ियाओं का कब्ज़ा – कब मिलेगी न्याय की गारंटी?
नगर पंचायत मडरक में भूमि माफियाओं का आतंक किसी से छिपा नहीं है। ग्राम समाज की ज़मीन, जो कि पूरे गाँव और समाज की सामूहिक संपत्ति होती है तथा जिसे देश की धरोहर कहा जा सकता है, उस पर संगठित तरीके से फर्जीवाड़ा कर कब्ज़ा किया जा रहा है।
फर्जी काग़ज़ और प्रशासन की चुप्पी
सूत्रों और स्थानीय शिकायतकर्ताओं के अनुसार, इन माफियाओं ने कूट रचित व फर्जी काग़ज़ तैयार कर ग्राम समाज की ज़मीन बेच डाली। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद भी न तो अपराधियों पर FIR दर्ज हुई और न ही अब तक ग्राम समाज की संपत्ति को वापस ग्राम सभा के नाम बहाल किया गया।
देश की संपत्ति पर डाका
ग्राम समाज की ज़मीन सिर्फ किसी गाँव की ही नहीं बल्कि पूरे देश की संपत्ति होती है। इसका उपयोग गाँव के विकास, चरागाह, तालाब, विद्यालय या अन्य सार्वजनिक कार्यों के लिए होना चाहिए। लेकिन जब प्रशासन ही निष्क्रिय हो और माफिया बेलगाम, तब देश की इस सामूहिक धरोहर की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं।
कानून क्या कहता है?
1. उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 (UPZA & LR Act, 1950)
धारा 132: ग्राम समाज की भूमि पर किसी भी प्रकार का निजी अधिकार स्थापित नहीं किया जा सकता।
धारा 209: ग्राम समाज की ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले व्यक्ति को हटाने और दंडित करने का अधिकार राजस्व विभाग को है।
धारा 229-B: यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से भूमि पर काबिज है तो ग्राम सभा मुकदमा दाखिल कर सकती है।
2. भारतीय दंड संहिता (IPC)
धारा 420 – धोखाधड़ी व छलपूर्वक संपत्ति हड़पना (सज़ा: 7 वर्ष तक कारावास)।
धारा 467 – वसीयत या संपत्ति से संबंधित फर्जी दस्तावेज़ बनाना (सज़ा: आजीवन कारावास तक)।
धारा 468 – धोखाधड़ी के उद्देश्य से फर्जी दस्तावेज़ बनाना (सज़ा: 7 वर्ष तक कारावास)।
धारा 471 – फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग असली के रूप में करना (सज़ा: 7 वर्ष तक कारावास)।
धारा 447 – आपराधिक अतिक्रमण (Trespass) यानी अवैध कब्ज़ा (सज़ा: 3 महीने तक कारावास/जुर्माना)।
3. न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट (Jagpal Singh v. State of Punjab, 2011): ग्राम समाज की भूमि पर किसी भी प्रकार का निजी कब्ज़ा पूरी तरह अवैध है और प्रशासन को तत्काल कार्रवाई कर भूमि मुक्त करानी चाहिए।
सवाल जनता से
जब ग्राम समाज की ज़मीन सुरक्षित नहीं है, जब अपराधियों पर FIR तक दर्ज नहीं हो रही है, तो जनता कैसे विश्वास करेगी कि कानून सभी के लिए बराबर है? आज जरूरत है कि इस तरह के मामलों में तत्काल जांच, कठोर कार्रवाई और ज़मीन की पुनर्बहाली हो।
जनता से अपील
हम सभी ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों से अपील करते हैं कि ऐसी घटनाओं पर चुप न रहें। आप लिखित शिकायत DM (जिलाधिकारी), SDM (उपजिलाधिकारी) और तहसीलदार को करें, साथ ही शिकायत की प्रति राज्य सरकार और राजस्व परिषद को भी भेजें। सामूहिक आवाज़ ही इस तरह की भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों को रोक सकती है।
निष्कर्ष
नगर पंचायत मडरक की घटना केवल एक गाँव या कस्बे की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और देश की चेतावनी है। यदि आज हम सामूहिक संपत्ति को सुरक्षित नहीं रख पाए, तो कल हमारे बच्चों के हिस्से की ज़मीन, तालाब और संसाधन सब लुप्त हो जाएंगे। अब समय आ गया है कि जनता जागरूक हो और प्रशासन से सख़्त कार्रवाई की मांग करे।
Hallo friends please spam comments na kare.post kesi lagi jarur bataye or post share jarur kare.