गोद लिया बच्चा क्या पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी बन सकता है?
प्रस्तावना
भारतीय समाज में गोद लेना (Adoption) एक आम प्रथा है। लेकिन जब बात पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में अधिकार की आती है, तो सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि – क्या गोद लिया बच्चा पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी बन सकता है? इस ब्लॉग में हम इसी सवाल का जवाब भारतीय कानून और अदालती निर्णयों के आधार पर समझेंगे।
1. गोद लेने का कानूनी प्रावधान
- भारत में हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956) लागू है। इसके अनुसार –
- कानूनी रूप से गोद लिया गया बच्चा जैविक संतान के बराबर अधिकार रखता है।
- गोद लेने के बाद बच्चा अपने जैविक माता-पिता से सभी संबंध तोड़ देता है और दत्तक माता-पिता की संतान माना जाता है।
- वह दत्तक माता-पिता की स्वयं अर्जित (Self-acquired) संपत्ति और पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) दोनों में हकदार होता है।
2. पैतृक संपत्ति में अधिकार
- पैतृक संपत्ति वह होती है जो चार पीढ़ियों तक चली आ रही हो।
- दत्तक संतान को उतना ही अधिकार मिलता है जितना कि सगे पुत्र या पुत्री को।
- परंतु यह अधिकार तभी मिलता है जब गोद लेना कानूनी रूप से सिद्ध हो।
3. आपके दोस्त की स्थिति जैसी परिस्थितियाँ
- यदि गोद लेने का कानूनी प्रमाणपत्र (Adoption Deed / Court Order) नहीं है और केवल शैक्षिक प्रमाणपत्रों में माता-पिता का नाम है, तो वह पर्याप्त नहीं है।
- अदालत में संपत्ति के दावे के लिए मजबूत सबूत चाहिए।
- अन्य रिश्तेदार उसके अधिकार को चुनौती दे सकते हैं।
4. क्या करें? (समाधान)
- गोद लेने का प्रमाण जुटाएँ – पुराने दस्तावेज, पंचायत या परिवारिक हलफनामा, गवाह।
- कोर्ट में डिक्लेरेटरी सूट दाखिल करें – जिसमें यह घोषित किया जाए कि वह कानूनी रूप से दत्तक संतान है।
- इसके बाद वह अपनी माँ की पैतृक संपत्ति में हक का दावा कर सकता है।
5. महत्वपूर्ण केस लॉ (Case Law)
- Lakshman Singh Kothari vs. Smt. Rup Kanwar (1962 SC) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सही विधि से गोद लिया गया बच्चा दत्तक माता-पिता की संतान के समान अधिकार रखता है।
- M. Gurudas vs. Rasaranjan (2006 SC) – बिना गोदनामे के केवल मौखिक दावे पर गोद लेना सिद्ध नहीं माना जाएगा।
निष्कर्ष
गोद लिया बच्चा अपनी दत्तक माँ-बाप की संपत्ति का उत्तराधिकारी बन सकता है, लेकिन केवल तभी जब गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई हो और उसका प्रमाण हो।
यदि प्रमाण नहीं है, तो सबसे पहले उसे कोर्ट से दत्तक संतान होने की मान्यता लेनी होगी।
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