विहान कुमार बनाम हरियाणा राज्य, 2025 INSC 162 (7 फ़रवरी 2025)

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केस का विवरण



घटनाक्रम पुनरावलोकन

  1. गिरफ्तारी का आधार:
    FIR संख्या 121 / 2023 (25 मार्च 2023 को दर्ज) में अभियुक्त विरुद्ध IPC की धाराओं 409 (विश्वासघात), 420 (ठगी), 467, 468, 471 (फोर्जरी), एवं 120-B (साजिश) के तहत मामले दर्ज थे The Amikus QriaeDrishti Judiciary.

  2. गिरफ्तारी का समय व स्थान:
    अभियुक्त का कथित हिरासत 10 जून 2024 को, लगभग सुबह 10:30 बजे, गुरुग्राम स्थित अपने कार्यालय से हुआ The Amikus QriaeDrishti Judiciary.

  3. ज़मानत से पहले जज के सामने पेशी में विलंब:
    अभियुक्त को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का विकल्प – संविधान के अनुच्छेद 22(2) और CrPC की धारा 57 के अनुसार – दोषपूर्ण रूप से अनदेखा किया गया। उन्हें लगभग 29 घंटे बाद, 11 जून 2024 को, जबरदस्ती पेश किया गया The Amikus Qriae+1Drishti Judiciary.

  4. अधिकारों का उल्लंघन – हैण्डकफ और बेड से बाँधना:
    स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल ले जाते समय अभियुक्त को बिना किसी सर्वोदय कारण के बेड से हैण्डकफ कर जाना और बेड से बाँधना, संविधान के अनुच्छेद 21 (मानव गरिमा का अधिकार) का उल्लंघन था latestlaws.comThe Amikus Qriae.


प्रधान कानूनी मुद्दे एवं सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

1. Article 22(1) – गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी न देना

आदालत ने स्पष्ट किया कि अभियुक्त को सिर्फ "आप गिरफ्तार हैं" कहना पर्याप्त नहीं है—उसे गिरफ्तारी का कारण स्पष्ट, समझने योग्य भाषा में व्यक्तिगत रूप से बताया जाना अनिवार्य है। सिर्फ पुलिस रिकॉर्ड या किसी अन्य व्यक्ति को सूचित करना, इसे पूरा नहीं करता Supreme Court ObserverVerdictumTheLawmatics.
निष्कर्ष: यह उल्लंघन गिरफ्तारी को अवैध घोषित करता है।

2. Article 22(2) / CrPC §57 – मजिस्ट्रेट के सामने पेशी में देरी

तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि गिरफ्तारी सुबह में ही हुई थी, जबकि कोर्ट में पेशी लगभग 29 घंटे बाद की गई—यह स्पष्ट रूप से कानूनी सीमा (24 घंटे) का उल्लंघन है The Amikus Qriae+1.

3. Article 21 – मानव गरिमा पर हमला

हैंडकफिंग और बेड से बाँधने जैसी बेजुबान कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट ने “अपमानजनक” और “गैरज़रूरी” करार दिया। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि भविष्य में राज्य ऐसे कृत्यों को दोबारा न दोहराए और यदि आवश्यक हो, तो नियम/निर्देशों में संशोधन करें latestlaws.comLawWebVerdictum.


निष्कर्ष

  • आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को अवैध घोषित करते हुए अभियुक्त की तत्काल रिहाई का निर्देश दिया।

  • संविधानिक सन्देश: गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी के कारण बताना, मजिस्ट्रेट के समक्ष समय पर पेशी, और सम्मानजनक उपचार—ये सब मूल अधिकार हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • नियामकीय प्रभाव: पंजाब एवं हरियाणा सहित हर राज्य सरकार को पुलिस प्रथाओं में सुधार हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया गया।




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