rights of man पुरुष के अधिकार

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 पुरुष के अधिकार


भारतीय संविधान और विभिन्न कानूनों के तहत पुरुषों को उनके मौलिक अधिकार और अन्य कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। हालांकि, कई बार यह धारणा बनती है कि कानून केवल महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने पर केंद्रित है। वास्तविकता यह है कि भारतीय संविधान और कानूनी प्रावधान पुरुषों के अधिकारों को भी समान रूप से संरक्षित करते हैं।


संविधान के तहत पुरुषों के मौलिक अधिकार


1. समानता का अधिकार (Article 14):

सभी नागरिकों, चाहे वह पुरुष हों या महिला, को कानून के समक्ष समानता का अधिकार है। यह भेदभाव के बिना समान संरक्षण की गारंटी देता है।


2. भेदभाव का निषेध (Article 15):

राज्य, धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं कर सकता। हालांकि, महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं।


3. जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार (Article 21):

पुरुषों को गरिमा के साथ जीने का अधिकार, स्वतंत्रता, और निजी स्वतंत्रता का संरक्षण दिया गया है।


4. व्यवसाय और रोजगार का अधिकार (Article 19):

पुरुषों को अपने व्यवसाय, व्यापार, या रोजगार का चयन करने की स्वतंत्रता है।


कानूनी अधिकार जो पुरुषों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।


1. झूठे मामलों से संरक्षण (Section 498A & IPC की अन्य धाराएँ):

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A, जो दहेज उत्पीड़न के लिए बनाई गई है, का अक्सर दुरुपयोग होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि झूठे मामलों में पुरुषों को राहत देने के लिए पुलिस और न्यायपालिका को सतर्क रहना चाहिए।


2. घरेलू हिंसा अधिनियम में संरक्षण:

भले ही घरेलू हिंसा अधिनियम मुख्य रूप से महिलाओं के लिए है, लेकिन पुरुष यह दावा कर सकते हैं कि उनके खिलाफ मानसिक या भावनात्मक उत्पीड़न हो रहा है और इसके लिए उचित प्रतिवाद कर सकते हैं।


3. झूठे बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों से सुरक्षा:


Section 182 IPC: झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।


Section 211 IPC: झूठे आरोप लगाने वाले पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।


न्यायालयों ने यह स्पष्ट किया है कि झूठे बलात्कार या छेड़छाड़ के आरोप पुरुषों की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं और इसके लिए दंडनीय कार्रवाई होनी चाहिए।


4. भरण-पोषण से राहत:


Hindu Marriage Act, 1955: अगर पति आर्थिक रूप से कमजोर है, तो वह पत्नी से भरण-पोषण की मांग कर सकता है।


Divorce Laws: तलाक के दौरान, पुरुषों को भी समान अधिकार मिलते हैं, जैसे बच्चों की कस्टडी या पत्नी के खिलाफ कानूनी कदम उठाना।


5. बच्चों की कस्टडी का अधिकार (Guardians and Wards Act, 1890):

तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी के मामलों में, पिता को भी समान अधिकार दिए गए हैं। अदालतें "बच्चे के सर्वोत्तम हित" के सिद्धांत के आधार पर निर्णय लेती हैं।


6. कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा:

कार्यस्थल पर पुरुषों को उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने और न्याय पाने का अधिकार है। हालांकि, इसका कोई विशिष्ट कानून नहीं है, लेकिन संवैधानिक प्रावधान और न्यायालय के दिशानिर्देश मददगार साबित होते हैं।


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सुधार और जागरूकता की आवश्यकता__


भारतीय समाज में पुरुषों के अधिकारों और उनकी समस्याओं के बारे में जागरूकता की कमी है। झूठे आरोपों और अन्य कानूनी शोषण से निपटने के लिए मजबूत नीतियों की आवश्यकता है। इसके अलावा, लैंगिक तटस्थ कानून बनाने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि पुरुष और महिलाएं दोनों समान रूप से न्याय प्राप्त कर सकें।

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भारतीय कानून पुरुषों को उनके मौलिक और कानूनी अधिकार प्रदान करता है। हालांकि, यह जरूरी है कि समाज और न्यायपालिका इन अधिकारों को समान रूप से लागू करें। पुरुषों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए कानून के दुरुपयोग को रोकना और जागरूकता बढ़ाना समय की मांग है। 


*संपर्क सूत्र - 8840032435*

*वेबसाइट indianlawfact.blogspot.com*

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