Your Rights After an Arrest : What Every Citizen Should Know

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Your Rights After an Arrest : जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी भी कई बार आम नागरिकों में खौंफ की वजह बन जाते हैं! आए दिन कई ऐसे मामले देखने को मिलते हैं! जिसमें बिना किसी ठोस वजह के भी पुलिसकर्मी अपने Duty का दुरुपयोग करते दिख जाएंगे! ऐसे में अगर आपका भी सामना किसी तुनक मिजाजी पुलिसकर्मी से हुआ है! तो घबराएं नहीं क्योंकि कानूनी दांव पेच (Civilian Legal Rights) का फायदा आपको जरूर मिलेगा! 


क्योंकि पुलिसकर्मी द्वारा ऐसा बर्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20- 21- 22 में दिए गए फंडामेंटल राइट्स के भी खिलाफ है! ऐसे में आपको जरूर जानना चाहिए कि गिरफ्तारी के बाद आपके पास कौन-कौन से कानूनी अधिकार मौजूद हैं जिसका इस्तेमाल न्यायालय के समक्ष पुलिस कर्मी के समक्ष भी किया जा सकता है.तो चलिए इसी संबंध में आपकी जानकारी दुरुस्त कर दी जाए! 


Your Rights After an Arrest


भारतीय कानून की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर एक तरफ जहां जेल में कैदियों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है! वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में Satyendra Kumar Vs CBI के मामले में अनावश्यक गिरफ्तारी और रिमांड को रोकने हेतु दिशा निर्देश जारी किया गया है! न्यायालय के मतानुसार पुलिस अधिकारियों को आपराधिक न्याय प्रक्रिया के विभिन्न चरण में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्ति स्वत: प्राप्त है! दरअसल न्यायालय के वक्तव्य के मुताबिक पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य है कि वह अपने सामने आने वाले मसले पर अपना दिमाग लगाएं और गिरफ्तारी करने से ठीक पहले यह सुनिश्चित करें की धारा 41 में दी गई शर्तें ठीक से पूरी हुई है कि अथवा नहीं! 


जानिए क्या है गिरफ्तारी की प्रक्रिया 


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक गिरफ्तारी किसी वारंट के साथ या उसके बिना भी की जा सकती है! क्योंकि गिरफ्तारी करने की कोई निर्धारित समय सीमा नहीं होती! Crpc की धारा 75 के अनुसार वारंट लिखित में होना आवश्यक है! उसपर प्रेसिडिंग ऑफीसर के हस्ताक्षर भी मौजूद होने चाहिए तथा अदालत का मोहर भी अनिवार्य है! इनमें से कोई भी जानकारी अगर गुम हो, तो उस कंडीशन में वारंट को इनवेलिड माना जाएगा!


निश्चित तौर पर FIR में police को किसी के नाम का उल्लेख मिलता है! ऐसे में पुलिस का कर्तव्य बनता है कि व्यक्ति को गिरफ्तार करने के ठीक पहले प्रारंभिक जांच की प्रक्रिया संपन्न कर लेनी चाहिए! तथा जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है! उसके साथ किसी तरीके का शारीरिक हिंसा का पालन नहीं करना चाहिए! जब तक कि वह स्वेच्छा से भागने का प्रयास न करें ! 


जानिए क्या-क्या होते हैं गिरफ्तार व्यक्ति के कानूनी अधिकार :- 



अगर आपसे जाने या अनजाने में कोई गंभीर अपराध हो गया है तथा आपकी गिरफ्तारी भी पुलिसिया विभाग द्वारा कर ली गई है! तो आपको चाहिए कि जल्द से जल्द एक वकील अपने बचाव के लिए हायर कर ले!


लेकिन बहुत लोग वकील हायर करने की मोटी रकम अदा नहीं कर पाते! ऐसे में अगर आप भी वकील की फीस नहीं भर पा रहे हैं! तो राज्य सरकार द्वारा आपको सरकारी वकील मुफ्त में दिया जाएगा! 


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिरफ्तार व्यक्ति Crpc की धारा 50 के तहत अपने परिवार की किसी सदस्य अथवा मित्र या रिश्तेदारों को अपनी यथा स्थिति की जानकारी देने का कानूनी अधिकार रखता है!


आपको पुलिस के सामने कुछ भी बोलने की आवश्यकता नहीं है आप अपने Right to Silence सदुपयोग कर सकते हैं क्योंकि सामान्यतौर पर जो भी आप अपने बचाव में कहते हैं! पुलिस आपके उस वक्तव्य को अपने हेतु लिए इस्तेमाल कर लेती है!


ऐसे में आप अपने कानूनी अधिकार का बेहतरीन इस्तेमाल धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने कर सकते हैं! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिरफ्तार व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए बिना 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखना अपने आप में कानूनी जुर्म है! 


महिला संदिग्ध गिरफ्तारी के मामले में जानिए क्या कहता है कानूनी नियम !!


सूर्योदय से पहले तथा सूर्यास्त के ठीक बाद किसी भी महिला को गिरफ्तार करना एक कानूनी अपराध है! यह तभी संभव हो सकता है जब अपराध की श्रेणी कॉग्निजेबल हो...इसी के साथ एक महिला संदिग्ध की गिरफ्तारी केवल महिला कांस्टेबल के मौजूद होने पर ही संभव होगी..! 















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