BNSS 2023 क्रिमिनल केस ट्रायल की पूरी प्रक्रिया

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 क्रिमिनल केस ट्रायल 2024-25 

क्रिमिनल केस ट्रायल दो प्रकार के होते है ,
  • पुलिस केस (F.I.R) 
  • परिवाद (Complaint Case)

पुलिस केस (F.I.R):-पुलिस केस वह होता है जो कि पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर होता है |
 
परिवाद (Complaint Case):-जिसमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNNS) की धारा 210 और 223 के तहत कोर्ट में परिवाद दायर किया जाता है |
 
                              इस आर्टिकल में हम सिर्फ पुलिस द्वारा की गई FIR केस के बारे में चर्चा करेंगे इसे समझने के लिए हम तीन भागों में विभाजित करेगें -
  1. पुलिस इन्वेस्टीगेशन :- पुलिस द्वारा कोर्ट चार्टशीट फाइल /चालान पेश करने से पहले का है जिसमें पुलिस जांच होती है 
  2. क्रिमिनल केस ट्रायल :- कोर्ट में केस ट्रायल का तथा जजमेंट 
  3. अपील :- जजमेंट के बाद अपील और दया याचिका का है | 

पुलिस इन्वेस्टीगेशन

जब कोई अपराध होता है तो अपराध होने के बाद सबसे पहला काम होता है उस अपराध की सूचना पुलिस को देना जो व्यक्ति पुलिस को सूचना देता है वह शिकायतकर्ता कहलाता है जिस व्यक्ति के साथ अपराध किया जाता है वह Victim/फरियादी/पीड़ित कहलाता हैऔर जो व्यक्ति अपराध करता है वह Accused/आरोपी/अभियुक्त कहलाता है | पुलिस को अपराध की सूचना देने वाला व्यक्ति पीड़ित नहीं भी हो सकता है, जैसे कोई व्यक्ति, जिसने सिर्फ अपराध होते हुए देखा हो लेकिन वह व्यक्ति उस अपराध से पीड़ित न हो अर्थात उसका हिस्सा ना हो, वह व्यक्ति भी शिकायतकर्ता हो सकता है।
 
पुलिस स्वयं,किसी भी अपराध की शिकायतकर्ता हो सकती है।जैसे की कोई पुलिस ऑफिसर ड्यूटी या गस्त पर है और वो कोई अपराध होते हुये देखे तो वह पुलिस ऑफिसर स्वयं भी शिकायतकर्ता हो सकता है, इसके अलावा पुलिस को अपने किसी मुखबिर(खबरी)से कोई सूचना मिले या फिर कोई अपनी पहचान बताये बिना पुलिस को सूचना दे,तो उस अपराध में भी वो पुलिस ऑफिसर ही शिकायतकर्ता होगा।

जब भी, पुलिस को अपराध की सूचना मिलती है उसका पहला काम होता है BNSS की धारा 173 के तहत FIR रजिस्टर्ड (दर्ज ) करना,अगर समय नहीं है और मौके (घटना स्थल) पर पहुँचना जरुरी है तो पुलिस पहले मौके पर जाकर हालात काबू में करेगी,फिर FIR दर्ज करेगी |

संज्ञेय अपराध (गम्भीर अपराध) के मामले में यदि आरोपी पकडाया नहीं गया है,तो सबसे पहले पुलिस आरोपी को ढूंढ़कर BNSS की धारा 35 के तहत बिना वारंट के उसे अरेस्ट करती है ,पुलिस BNSS की धारा 49 के तहत उस आरोपी की तलाशी करती है,या फिर BNSS की धारा 185 के तहत पुलिस उस स्थान की तलाशी कर सकती है जहां पर वह अपराधी पकडाया गया है |जो भी सामान उस आरोपी के पास होता है, सिर्फ उसके कपड़ों को छोड़कर वह सभी सामान पुलिस द्वारा अपनी अभिरक्षा (Costody) Read more>>>>


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