अगर मेरे पास वकील रखने के लिए पैसा नहीं है, तो क्या मैं अपना केस खुद लड़ सकता हूँ, भले ही मेरे पास कानून की डिग्री ना हो? क्या हमारे पास ऐसे प्रावधान हैं?

indianlawfact
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 इस प्रश्न का उत्तर हाँ और ना दोनों ही तरह से दिया जा सकता है। इस प्रश्न का विस्तृत उत्तर दूँ इससे पहले यह समझिये कि केस लड़ना किसे कहते हैं।

संक्षेप में केस लड़ने से तात्पर्य है -

  • कोर्ट को अपनी बात विधिक भाषा में समझाना
  • प्रतिपक्ष के सवालों का जबाब क़ानून के दायरे में रहते हुए देना
  • न्याय करने में न्यायालय का सहयोग करना
  • उपरोक्त सभी कार्यों में विधिक प्रक्रिया का पालन करना।

अब मैं आपसे पूछता हूँ -

  1. क्या आप विधि की बारीकियों का ज्ञान रखते हैं ?
  2. क्या आपको विधिक भाषा का ज्ञान है ?
  3. क्या आपको सिविल या दाण्डिक प्रक्रिया विधि या साक्ष्य विधि का ज्ञान है ?
  4. क्या जब प्रतिपक्ष का वकील कोर्ट के समक्ष विधिक तर्क पेश करेगा तब आप उसका सामना कर पाएंगे ?
  5. क्या जब आपके अज्ञान से आपके साथ अन्याय होगा तब आप सिस्टम को दोष देने से बच पाएंगे ?

मेरे ख्याल से इनमे से एक भी प्रश्न का सकारात्मक उत्तर आपके पास नहीं होगा। इसलिए यदि मैं यह कहूँ कि आप एक वकील के रूप में अपना केस नहीं लड़ सकते तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।


शायद आप जानते हों , कोर्ट के समक्ष आने वाले सभी मामलों में दो पक्षकार होते हैं।


दाण्डिक मामलो में अभियोजन की पैरवी सदैव सरकारी वकील द्वारा की जाती है। कई बार सरकारी वकील के अभाव में इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है लेकिन सामान्य व्यक्ति को बिलकुल नहीं। दाण्डिक मामलों में अभियुक्त को अपनी पसंद का अधिवक्ता रखने का मौलिक अधिकार होता है। यदि आप अभियुक्त हैं तब कोर्ट कुछ विशेष मौकों पर आपको अपनी बात कहने की छूट तो दे सकता है लेकिन एक वकील के रूप में पेश होने की अनुमति कभी नहीं देगा क्योंकि आपके अज्ञान से आपका ही अहित हो सकता है। कोर्ट आपको अपना अहित करने की अनुमति नहीं दे सकता। इसलिए इस स्तर पर आपके लिए कोई गुंजाइश नहीं है।


अब सिविल मामलों की बात कर लेते हैं। क्रिमिनल मामलों की तरह सिविल मामलों में भी विशेष ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता होती है। विधिक शिक्षा के अभाव में आप प्रतिद्वंदी वकील का सामना नहीं कर पाएंगे इसलिए इस स्तर पर भी आपको अपना केस लड़ने की अनुमति नहीं मिल सकती।


अपना केस स्वयं लड़ने में एक बड़ी बाधा वकालतनामा भी है जो बार एसोसियेशन द्वारा जारी किया जाता है। बार केवल वकीलों के लिए ही वकालतनामा जारी करती है। वकालतनामा के अभाव में आपका केस ही फ़ाइल नहीं होगा तो आप लड़ोगे कैसे ?


परन्तु जैसा कि मैंने शुरू में कहा था , आपके प्रश्न का उत्तर हाँ और न दोनों में ही दिया जा सकता है। एक सामान्य व्यक्ति होने के बावजूद भी आपके पास कुछ ऐसे मौके हैं जब आप अपना केस स्वयं लड़ सकते हैं लेकिन यहाँ भी विधिक ज्ञान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

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