जमीन विवाद कानूनी सलाह क्या हैं 2023
जमीन से संबंधित कई प्रकार के विवाद उत्पन होते रहते है, जिसमे ज्यादातर लोग जमीन के विवाद से परेशान है. इन सभी विवादों का निपटारा के लिए लोगो के पास जानकारी का अभाव होता है. इस तरह के जमीन से जुड़े विवादों से संबंधित क़ानूनी प्रवधान किया गया है, जिससे विवादों को सुलझाया जा सके.
अभी भी बहुत से एसे लोग है, जिन्हें जमीन विवादों से सम्बंधित कानूनी धाराओं से परिचित नहीं हैं. ऐसे लोगो के साथ कई बार यह विवाद बहुत बड़ा रूप ले लेता है. जिसके वजह से उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान होता है. इस प्रकार के मामलो से निपटारा पाने के लिए अपराधिक तथा सिविल दोनों प्रकार के जमीन विवादों से संबंधी कानूनी प्रावधान की जाती है.
जमीन विवाद क़ानूनी सलाह
भारत में जमीन से संबंधित लोगो में कई प्रकार के विवाद हो सकते है. इसलिए, अलग-अलग विवादों पर अलग-अलग नियम कानून का सहारा लिया जाता है. इससे पीड़ित व्यक्ति को आपराधिक और सिविल दोनों ही प्रकार के जमीन के विवाद में कानून के तरफ से सहायता प्रदान की जाती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जमीन के झगड़े या भूमि विवाद से जुड़ी शिकायत रजिस्टार ऑफिस में कर सकते है. और इससे भी मदद नहीं मिलती तो आप अपने मामले को जिला सब रजिस्ट्रार ऑफिस में complaint कर सकते है.
ऐसे जमीन से जुड़े विवादों से संबंधित क़ानूनी प्रावधान और इस धाराओ के अंतर्गत अपनी शिकायत किसी पुलिस थाने में दर्ज करवा कर कानून के तरफ से सहायता ले सकते है.
जमीनी विवाद में लागु होने वाले (IPC) धाराएं
क़ानूनी धाराए अलग-अलग विवादों या अपराधो के लिए अलग-अलग लागु किया जाता है. भारत में किसी भी नागरिक के विवादों से संबंधित सिकायत के अनुसार इन सभी क़ानूनी धाराओ को लागु किया जाता है.
- धारा 406
- धारा 467
- धारा 420
स्टेप 1: जमीन या अन्य सम्पति को कब्जा करने पर लगने वाले धाराए
किसी भी व्यक्ति के साथ भरोसे का गलत फायदा उठा कर उसके जमीन या अन्य सम्पतियो पर कब्जा कर लेता है. इस स्तिथि में धारा 406 के अन्तर्गत वो व्यक्ति अपनी शिकायत पुलिस थाने में दर्ज करा सकते है.
स्टेप 2: फर्जी दस्तावेज से जमीन या अन्य सम्पति को कब्ज़ा करने पर लगने वाले धाराए
किसी व्यक्ति के जमीन या उसके अन्य सम्पति को फर्जी दस्तावेज बना कर उस की जमीन पर कब्ज़ा करना बहुत बड़ा क़ानूनी अपराध है. इस तरह के मामलो में वह व्यक्ति आईपीसी की धारा 467 के तहद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा सकते है.
ऐसे अपराध समझौता करने योग्य नहीं है. क्योकि, यह बहुत बड़ा अपराध है और इसकी जांच प्रथम मजिस्ट्रेट के द्वारा की जाती है. इस मामले में किसी भी प्रकार के समझौता नही किया जा सकता है.
स्टेप 3: फर्जी या धोखाधड़ी से संपत्ति को कब्जा पर लगने वाले धाराए
किसी अन्य व्यक्ति के सम्पति को धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज से जमीन या अन्य सम्पति पर अपना कब्जा कर लेते हैं. इस अंतर्गत धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े विवादों से संबंधित पीड़ित व्यक्ति धारा 420 के तहत अपनी शिकायत पुलिस थाने में दर्ज करा सकते है.
Note: जमीन विवाद से सम्बन्धित आपस में निपटारा किया जा सकें तो बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकता है. अत: मजबूरन निपटारा के लिए कानून की सहायता लेनी पड़ती है. सबसे पहले किसी श्रेठ वकील से मिलकर उस विवाद पर चर्चा करे. क्योकि, इन सभी मामलो में बिना सोचे समझे ही केश फाइल कर देने पर खुद को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
जमीनी विवाद से संबंधित कुछ अन्य धाराए
किसी भी जमीन या संपत्ति से संबंधित विवादों का कार्यवाही सिविल प्रक्रिया द्वारा भी की जाती है. कई बार इसमें ज्यादातर समय लग जाता है. लेकिन यह बहुत ही सस्ती प्रक्रिया है. ऐसे धोखाधड़ी विवादों से पीड़ित व्यक्ति को सिविल प्रक्रिया के द्वारा आसानी से व जल्दी न्याय मिल जाता है.
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963
सम्पति से संबंधित विवादों के लिए, भारत की संसद के द्वारा इस कानून को त्वरित न्यायालय के लिए बनाया गया है. इस कानून के अंतर्गत धारा 6 के तहत अगर किसी व्यक्ति के सम्पति को गैर क़ानूनी तरीके से उसके सम्पति पर कब्जा कर लेता है. तो इस धारा को लागु किया जाता है.
इस धारा के तहत पीड़ित व्यक्ति को आसानी से न्याय मिल जाता है. इस धारा के तहत कुछ ऐसे नियम है जिसके बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है.
धारा 6 के तहत कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें
इस धारा के तहत अगर न्यायालय द्वारा कोई भी आदेश डिग्री पारित किया जाता है, उसके बाद उसपे कोई भी अपील नही की जा सकता है.किसी व्यक्ति के जमीन को 6 महीने के अंदर कब्जा किया गया है. तभी इस प्रक्रिया के द्वारा कार्यवाही की जाएगी.6 महीने के बाद इस मामले को दर्ज किया जायेगा, तो सामान्य सिविल प्रक्रिया के द्वारा इसकी कार्यवाही की जाएगी.
इस धारा के अंतर्गत सरकार के विरुद्ध किसी भी प्रकार के मामला लेकर नहीं आया जा सकता है .
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