BNS 2023 में जमानत (Bail) क्या है? बेल के प्रकार, प्रक्रिया और कानून | Complete Guide in Hindi

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 📖 जमानत (Bail) क्या है?

जमानत का अर्थ है – किसी आरोपी को अदालत या पुलिस की हिरासत से कुछ शर्तों पर अस्थायी रूप से रिहा करना।

आरोपी को भरोसा देना होता है कि वह आगे की सुनवाई में अदालत में उपस्थित रहेगा और गवाहों व सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।

🔹 पहले यह प्रावधान CrPC (Code of Criminal Procedure) में था, लेकिन 1 जुलाई 2024 से भारत में नया आपराधिक कानून लागू हुआ –

  • भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS)
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS)
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA)

अब बेल से जुड़ी प्रक्रियाएँ BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023) की धारा 478 से 490 तक दी गई हैं।

⚖ जमानत के प्रकार (Types of Bail in BNSS)

  • Regular Bail (नियमित जमानत)
  • गिरफ्तारी के बाद आरोपी जेल में हो, तब वह कोर्ट से Regular Bail ले सकता है।
  • BNSS की धारा 480 लागू होती है।
  • Anticipatory Bail (अग्रिम जमानत)
  • अगर किसी व्यक्ति को आशंका है कि उसके खिलाफ मामला दर्ज होगा और गिरफ्तारी हो सकती है, तो वह पहले से कोर्ट से जमानत ले सकता है।
  • BNSS धारा 482 लागू होती है।

Interim Bail (अंतरिम जमानत)

अस्थायी राहत के तौर पर यह जमानत दी जाती है, जब तक Regular या Anticipatory Bail पर अंतिम निर्णय न हो।

📑 जमानत कब मिलती है?

BNS और BNSS के अनुसार अपराधों को दो भागों में बाँटा गया है –

Bailable Offences (जमानती अपराध):

  • ऐसे अपराध जिनमें बेल मिलना आरोपी का अधिकार है।

जैसे – छोटे चोरी के मामले, साधारण मारपीट आदि।

Non-Bailable Offences (गैर-जमानती अपराध):

  • इन अपराधों में बेल मिलना कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है।

जैसे – हत्या (BNS धारा 101), बलात्कार (BNS धारा 63), आतंकवाद से जुड़े अपराध आदि।

📝 जमानत लेने की प्रक्रिया (BNSS अनुसार)

आरोपी या उसका वकील बेल के लिए अर्ज़ी (Bail Application) अदालत में दाखिल करता है।

कोर्ट यह देखता है –

  • अपराध की गंभीरता
  • आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड
  • आरोपी फरार होने की संभावना
  • गवाहों पर दबाव डालने की आशंका
  • अगर कोर्ट संतुष्ट है, तो बेल मिल जाती है।

बेल पर रिहाई के लिए आरोपी को Bail Bond और जमानतदार (Surety) देना होता है।

⚠ किन मामलों में बेल नहीं मिलती?

BNS और BNSS के अनुसार, गंभीर अपराधों में बेल मिलना कठिन है –

  • हत्या (BNS धारा 101)
  • बलात्कार (BNS धारा 63)
  • डकैती (BNS धारा 305)
  • नशीले पदार्थ से जुड़े अपराध (NDPS Act)
  • देशद्रोह और आतंकवाद संबंधी अपराध (UAPA Act)

❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1. क्या हर अपराध में बेल मिल सकती है?

👉 नहीं, केवल जमानती अपराधों में बेल स्वतः अधिकार है, गैर-जमानती अपराधों में कोर्ट का निर्णय होता है।

Q2. अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) का प्रावधान कहाँ है?

👉 BNSS धारा 482 में अग्रिम जमानत का प्रावधान है।

Q3. बेल बॉन्ड क्या है?

👉 यह एक गारंटी है (पैसों या संपत्ति के रूप में) कि आरोपी कोर्ट में उपस्थित रहेगा।

Q4. बेल की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

👉 सामान्यतः 1–3 दिन, लेकिन गंभीर मामलों में अधिक समय लग सकता है।

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