1.
केस का नाम
In Re: Manual Sewer Cleaning by
Delhi PWD
(सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान व याचिका
पर सुनवाई)
2.
तथ्य (Facts of the Case)
- दिल्ली में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) ने
सीवर की सफाई का काम कराया।
- इस दौरान
नाबालिग बच्चा समेत मजदूरों को
सीवर के अंदर भेजा गया।
- Prohibition of Employment as Manual Scavengers and
Their Rehabilitation Act, 2013
के अनुसार यह अवैध है।
- पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि सीवर की सफाई केवल मशीनों से होनी चाहिए।
3.
मुद्दे (Issues before the Court)
- क्या PWD ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों का उल्लंघन किया?
- क्या सीवर सफाई के लिए नाबालिग को लगाना मानव गरिमा व
मौलिक अधिकारों का हनन है?
- इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए क्या दंड व उपाय उचित होंगे?
4.
पक्षकारों के तर्क (Arguments)
- याचिकाकर्ता/NGO:
- सीवर सफाई में नाबालिग का प्रयोग “मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन” है।
- PWD को
जवाबदेह ठहराना चाहिए।
- PWD/सरकार:
- यह “अनजाने में”
हुआ, इरादा
नहीं था।
- आगे से मशीनों का ही प्रयोग किया जाएगा।
5.
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (Judgment)
- दिल्ली PWD पर
₹5 लाख का जुर्माना लगाया।
- कोर्ट ने कहा –
- “Manual Scavenging मानव गरिमा का सीधा उल्लंघन है और इसे बिल्कुल सहन नहीं
किया जाएगा।”
- “नाबालिग
को सीवर में उतारना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन
का अधिकार व गरिमा) का उल्लंघन है।”
- कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर भविष्य में आदेश तोड़ा गया तो अधिकारियों पर व्यक्तिगत कार्रवाई की जाएगी।
- सरकार को निर्देश दिया कि हर जगह मशीनों द्वारा ही सीवर सफाई सुनिश्चित की जाए।
6.
महत्व (Significance of the Judgment)
- यह फैसला
दलित और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया कि मैन्युअल
स्कैवेंजिंग खत्म करना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
- यह केस भारत में मानव गरिमा और मजदूर सुरक्षा को लेकर एक मील का पत्थर है।
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